इतिहास में आज: 21 अगस्त
२० अगस्त २०१८इटली के मशहूर पेंटर लियोनार्दो दा विंची की पेंटिंग मोना लीसा फ्रांस के लूव्र म्यूजियम की शान है. आज भी दुनिया भर से लाखों लोग इसे देखने पेरिस पहुंचते हैं. लेकिन 1911 में इसे लूव्र से चुरा लिया गया था और पेंटिंग चोरी होने के एक दिन बाद तक म्यूजियम वालों को इसकी भनक तक नहीं लगी थी.
इटली का एक शख्स विंचेंसो पेरुशिया 20 अगस्त की शाम म्यूजियम में दाखिल हुआ और अंदर जा कर उसने वैसे ही कपड़े पहन लिए जैसे कि म्यूजियम के अन्य कर्मचारियों के थे. शाम को म्यूजियम बंद होने के बाद उसने पेंटिंग को दीवार से उतार लिया और म्यूजियम के अंदर ही एक अलमारी में छिपा दिया. उसे पता था कि साफ सफाई के लिए अगले दिन म्यूजियम को बंद रखा जाएगा. 21 अगस्त की सुबह उसने पेंटिंग को बाहर निकाला और उसे हाथ में ले कर वह म्यूजियम की सीढ़ियां उतरने लगा.
इस दौरान उसने पेंटिंग को फ्रेम से निकाला. हाल ही में पेंटिंग पर नया फ्रेम चढ़ाया गया था ताकि उसे देखने के लिए आने वाले उसे नुकसान ना पहुंचा सकें. फ्रेम को वहीं फेंक उसने पेंटिंग को अपने कपड़ों में छिपा लिया और चुपचाप म्यूजियम से बाहर निकल गया. दो साल तक पेंटिंग पेरिस के उसके अपार्टमेंट में रही.
फिर 1913 में उसने पेंटिंग को इटली ले जाने का फैसला किया. वहां उसने उसे बेचने की कोशिश की लेकिन खरीदार ने पुलिस को इत्तिला कर दिया. चोरी के जुर्म में पेरुशिया को छह महीने की कैद की सजा हुई, लेकिन वह कई देशवासियों की नजर में हीरो बन गया. इन लोगों का मानना था कि वह मोना लीसा को इटली वापस ले कर आया, जो कि पेंटिंग का असली घर है.
आईबी/एनआर