इंसान ही नहीं, पक्षी भी करते हैं अजन्मे बच्चों से बातें
२३ अगस्त २०१६होने वाली मां के पास जाकर कई बार लोग होने वाले बच्चे से भी मजाक मजाक में कुछ कहते हैं. होने वाली मां तो अपनी गर्भावस्था में कई बार अपने अजन्मे बच्चे से कई तरह का संवाद स्थापित करती है. लेकिन रिसर्चरों को पता चला है कि इंसान ही नहीं पक्षियों में भी अपने अंडों से बच्चों के बाहर निकलने से पहले कुछ बातें होती हैं. होने वाली पक्षी मां अपने अंडों को सेते समय ही उनके लिए गाना गाती है. रिसर्चरों को लगता है कि इसका मकसद गर्म होते वातावरण के बारे में उन्हें पहले से तैयार करना है.
साइंस जर्नल में छपी इस स्टडी में एक किस्म की जेब्रा फिंच पर किया रिसर्च प्रकाशित हुआ है. इस पक्षी की खास आदत है कि वो गर्म मौसम में अपने अंडों के लिए गीत गाती है. तापमान अगर 26 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो तो अंडे सेने वाली फिंच पक्षी अंडों से बच्चे निकलने के दिन करीब आने पर गीत गाती हैं.
प्रकृति में कितने ही पक्षी और जानवर अंडे देते हैं. किसी चिड़िया के चूजे के अंडे से निकलने की कहानी अंडे से ही निकलने वाले मगरमच्छों से कम दिलचस्प नहीं होती.
अंडे सेने की प्रक्रिया बहुत खास होती है. पक्षी अपने अंडों को बाहर बदलते तापमान से प्रभावित नहीं होने देते. उनका एक स्थाई तापमान बरकरार रखा जाता है. रिसर्चरों को यह सवाल परेशान कर रहा था कि आखिर यह पक्षी गाकर क्या कहते होंगे. क्या उनके गाने का बाहर के तापमान में बदलाव से कुछ लेना देना हो सकता है?
इस स्टडी की लीड ऑथर माइलीन मैरियेट ने बताया, "मुझे लगता है कि वो ये बताते होंगे कि: 'यहां गर्मी हैं बच्चों, तैयार हो जाओ!'," अपने जल्द ही अंडों से बाहर आने वाले बच्चों से पक्षी यही कहते होंगे. इस कॉल का कितना असर देखने के लिए दो रिसर्चरों मैरियेट और ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी की कैथरीन बुकानन ने पक्षियों के गीत को रिकॉर्ड किया और उन्हें एक इन्क्यूबेटर में रखे अंडों को सुनाया.
कुछ अंडों को जेब्रा फिंच की आम आवाज यानि कॉल्स सुनाई गईं, तो कुछ को मां बनने वाले पक्षियों की विशेष कॉल्स. जिन अंडों को ये विशेष हॉट कॉल्स सुनाई गईं उनमें धीमा विकास हुआ और वे अंडे से निकलने पर छोटे आकार से दिखे. वहीं दूसरे अंडों से सामान्य आकार के बच्चे निकले. रिसर्चरों का मानना है कि उन पक्षियों का छोटा आकार उन्हें गर्म माहौल में भी जिंदा रखने में मददगार साबित होगा. छोटे होने के कारण वे जल्दी ठंडे हो सकते हैं.
इसके अलावा रिसर्चरों ने पाया कि इन छोटे आकार वाले पक्षियों के बच्चे भी ज्यादा होते हैं यानि उनके अस्तित्व के बने रखने में पक्षी के खास गीत से काफी मदद मिलती है. अगर इस तरह की कार्यनीति दूसरे जानवरों में भी मिलती है तो इसका अर्थ होगा कि ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के लिए अब तक छुपा रहा एक तरीका हमें पता चल गया है.