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कोरोना से बचाने वाले मास्क और दस्तानों से खतरा

निकोलिया एपोस्टोलू (ग्रीस से)
१ मई २०२०

सिंगल-यूज मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर की बोतलें - ये इंसानों को तो कोविड-19 के संक्रमण से बचा रही हैं लेकिन इस्तेमाल के बाद सड़कों, समुद्रों और वन्यजीवों के गले की फांस बन रही हैं.

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तस्वीर: OceansAsia/Naomi Brennan

विश्व के तमाम देशों की तरह ग्रीस में भी लोग लॉकडाउन में जी रहे हैं. यहां के छोटे से शहर कालामांता की सड़कें देखें या फिर न्यूयॉर्क और लंदन की, प्लास्टिक के कचरे की समस्या हर जगह दिखेगी. हांगकांग से कुछ नॉटिकल मील दूर स्थित सोको द्वीप जैसी जगहों पर भी कचरा पहुंच गया है, जहां कोई इंसान नहीं रहता.

सोको द्वीप पर काम करने वाले पर्यावरण संरक्षण समूह ओशेन्सएशिया के गैरी स्टोक्स बताते हैं कि अपने पिछले तीन दौरों में ही उन्हें वहां कोई 100 मास्क समुद्र के तट पर फैले मिले हैं. स्टोक्स बताते हैं, "ऐसी सुनसान जगहों पर हमें इतने सारे मास्क पहले कभी नहीं मिले थे." उन्हें अंदेशा है कि ये पास के हांगकांग या चीन से बहकर आए हैं. स्टोक्स को जब सैकड़ों की संख्या में मास्क बह कर आए दिखे थे, तब इन देशों में मास्क का चलन शुरु हुए 6-8 हफ्ते ही हुए थे.

वाइल्डलाइफ पर असर

सिंगल-यूज प्लास्टिक वाले मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर की बोतलें और पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के अलावा आम लोगों द्वारा भी बड़े स्तर पर इस्तेमाल की जा रही हैं. चूंकि इस्तेमाल के बाद इनका निपटारा सही तरीके से नहीं हो रहा है, इसलिए पर्यावरण का ख्याल करने वालों की चिंता बढ़ गई है. उन्हें चिंता है कि वन्यजीवों और प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ प्रयासों को इससे झटका लगेगा.

समुद्री जीवों की रिसर्चर और ग्रीस के आर्किपेलागोज इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन कंजर्वेशन की रिसर्च निदेशक अनेस्तेसिया मिलिऊ कहती हैं, "अगर उन्हें सड़क पर ही फेंक दिया जाए तो बारिश के पानी के साथ दस्ताने और मास्क बहकर समुद्र में ही पहुंचेगे." ग्रीस में कचरे के निपटारे की व्यवस्था पहले से ही बहुत अच्छी नहीं है. इसलिए अगर इन्हें कचरे के डिब्बे में भी डाला जाए तो भी यह प्रकृति में कहीं बिखरे हुए मिलेंगे.

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पानी में पहुंचने पर प्लास्टिक जानवरों की जान के लिए खतरा बन जाता है.तस्वीर: OceansAsia

दूसरी ओर हांगकांग को लीजिए, जहां शायद ही कहीं कचरा फैला दिखता है. स्टोक्स बताते हैं कि वहां से भी तमाम दूसरे तरीकों से मास्क समुद्र में पहुंच रहा है. वे बताते हैं कि कभी लोगों की जेब से गलती से गिर कर तो कभी कचरे के डिब्बे से उड़ कर भी मास्क पानी तक पहुंच जाते हैं. स्टोक्स का कहना है, "हांगकांग के पानी में गुलाबी डॉल्फिन और हरे कछुए पाए जाते हैं. लेकिन अगर पानी में इतनी देर तक प्लास्टिक रह जाए कि उस पर एल्गी और बैक्टीरिया उग जाए, तो वह कछुओं को भोजन जैसा महकने लगता है.”

मास्क को रीसाइकिल करने का इंतजाम?

पीपीई आइटमों को अगर पानी या जीवों तक पहुंचने से बचा भी लिया जाए, तो भी इनका सही तरीके से निपटारा आसान नहीं होता. ब्रसेल्स के एक एनजीओ ‘जीरो वेस्ट यूरोप' के कार्यकारी निदेशक जोआन मार्क साइमन कहते हैं कि यूरोप की रीसाइक्लिंग योजना में रीटेलर्स और निर्माताओं को प्लास्टिक पैकेजिंग के इकट्ठा करने और ट्रीट किए जाने का खर्च उठाना होता है. साइमन बताते हैं कि चूंकि दस्ताने पैकेजिंग की श्रेणी में नहीं आते, इसलिए उन्हें घरेलू कचरे वाले कूड़ेदान में नहीं डाल सकते. यहां तक कि लेटेक्स रबर से बने दस्ताने बहुत इको फ्रेंडली नहीं होते. कइयों को बनाने में ऐसे केमिकल इस्तेमाल होते हैं, जो गलने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.

क्या हैं साफ सुथरे स्थाई उपाय?

विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता है कि नियमित तौर पर हाथ धोते रहने से दस्ताने पहनने के मुकाबले ज्यादा सुरक्षा मिलती है. इसी तरह अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी बता चुकी है कि आम लोगों को बार बार इस्तेमाल हो सकने वाले कपड़े के मास्क कोविड-19 के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं. वहीं हेल्थ प्रोफेशनल्स के काम आने वाले पीपीई के सस्टेनेबल विकल्प लाने पर काम चल रहा है.  

अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड बार बार इस्तेमाल किए जाने वाले गाउन बना रही है, जिसे 50 बार तक इस्तेमाल किया जा सकेगा. नेब्रास्का यूनिवर्सिटी टेस्ट कर रही है कि क्या अल्ट्रावायलेट किरणों से ट्रीट करने पर मेडिकल मास्क को पूरी तरह साफ कर फिर से काम में लाया जा सकता है. जीरो वेस्ट यूरोप के साइमन कहते हैं कि देशों को ऐसी स्थिति में नहीं पहुंचना चाहिए कि उन्हें चुनना पड़ जाए कि पर्यावरण को बचाएं या लोगों को. 

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