इंसानों की तरह रिश्ते-नातों में उलझे रहते हैं गोरिल्ला
१० जुलाई २०१९अपना अधिकतर वक्त घने जंगलों में बिताने वाले गोरिल्लाओं के व्यवहार को समझना रिसर्चरों के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था. पिछले शोधों से यह साफ हो चुका है कि गोरिल्ला छोटे-छोटे परिवारों में रहते हैं जिसमें एक मुख्य नर, कई मादाएं और बच्चे होते हैं. लेकिन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की स्टडी कुछ नई बातें पेश करती है.
गोरिल्लाओं के सामाजिक आदान प्रदान से जुड़े व्यवहार को सालों तक इकट्ठे किए जाने के बाद मिली नई जानकारी बताती है कि ये जीव काफी जटिल हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि अपने परिवार से अलग गोरिल्ला नाते-रिश्तेदारों से जुड़ी "एक्सटेंडेट फैमिली" भी बनाते हैं जिसमें औसतन 13 लोग होते हैं. इसके साथ ही इनके ऐसे बड़े समूह भी थे जिसमें औसतन 39 गोरिल्ला थे. हालांकि ये आपस में किसी रिश्ते से नहीं जुड़े थे लेकिन इसके बावजूद वे एक-दूसरे से बातचीत कर रहे थे.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जैविक मानवविज्ञानी और इस स्टडी का नेतृत्व कर रहे रॉबिन मॉरिसन ने बताया, "इन गोरिल्लाओं में भी प्रारंभिक मानव आबादी की तरह ही एक गांव, छोटी बस्ती या जनजाति हो सकती है."
इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इंसानों की तरह हर साल त्योहारों पर मिलने के रिवाजों को भी गोरिल्लाओं में देखा. स्टडी में देखा गया कि ऐसे कई मौके होते हैं जब दर्जनों गोरिल्ला एक साथ फल खाने के लिए मिलते हैं. मॉरिसन ने संभावना जताते हुए कहा कि शायद ये कौशल गोरिल्लाओं ने वक्त के साथ ईजाद किया हो ताकि कठिन खाने तक पहुंचने के तौर-तरीकों को ज्यादा से ज्याद याद रख सकें. मतलब एक "क्लैक्टिव मैमोरी" बन सके.
साइंस पत्रिका प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी में छपी इस स्टडी में कहा गया है कि गोरिल्लाओं में सामाजकि स्तरीय प्रणाली काफी कुछ इंसानों की तरह ही होती है. हालांकि गोरिल्लाओं से इतर बबून, व्हेल और हाथी भी इस तरह के सामाजिक कौशल की नजीर पेश कर चुके हैं.
मॉरिसन ने कहा, "हमारी स्टडी बताती है कि लुप्त होने की कगार पर खड़े ये जानवर काफी समझदार और प्रगतिशील हैं." वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस स्टडी से इंसानों के सामाजिक व्यवहार की उत्पति को समझने में मदद मिलेगी.
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एए/आरपी (एएफपी)