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इंटरनेट पर मिस्र ढूंढने वालों को चीन ने रोका

८ फ़रवरी २०११

चीन की सरकार ने अपने देश के 45 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों को मिस्र के विरोध प्रदर्शनों की खबरें और तस्वीरें देखने से रोक दिया है. सर्च इंजनों में मिस्र टाइप करने पर कोई जवाब नहीं आ रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

इंटरनेट की दुनिया में मिस्र के विरोध प्रदर्शन की तस्वीरों की बाढ़ आई हुई है, जहां तहां बहस के मंच बन रहे हैं और लोग घर में बैठे बैठ उनमें शामिल हो रहे हैं. लेकिन चीन की सरकार ने अपने यहां के इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से ये हक छीन लिया है. चीन में बीजिंग के थियानमेन चौक पर ठीक 20 साल पहले लोकतंत्र के समर्थन में जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ था, अब चीन की साम्यवादी सरकार लोगों को काहिरा के तहरीर स्क्वेयर पर हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों की खबरों पाने से रोक रही है.

कम्युनिस्ट पार्टी ने सर्च इंजनों में मिस्र पर रोक लगा दी है. चीन के सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट एसआईएनए डॉट कॉम और डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू एसओएचयू डॉट कॉम पर जर्मनी और फ्रांस टाइप करने पर तो नतीजा सामान्य है लेकिन मिस्र टाइप करें तो जवाब में एरर मैसेज आता है. ऐसा नहीं कि चीन की सरकार ने मिस्र के विद्रोह की खबरों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी हो. चीनवासियों को सरकारी टेलिविजन और सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ से खबरें मिल रही हैं लेकिन इन खबरों का फोकस इस बात पर है कि विरोध प्रदर्शनों के कारण किस तरह से देश में अफरातफरी, अव्यवस्था और अशांति फैली है.

स्थायित्व का बचाव

डॉयचे वेले में चीनी सेवा के प्रमुख एड्रियाने वोल्टर्सडॉर्फ ने बताया, "मिस्र में हो रही घटनाओं के बारे में खबरें दी जा रही हैं लेकिन चीनी सरकार ने शुरुआत से ही तय कर दिया था कि केवल सरकारी एजेंसी और विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी जा रही खबरों को ही लोगों तक पहुंचाया जाए. इन खबरों में ज्यादा ध्यान इस बात पर है कि किस तरह चीनी सरकार अपने नागरिकों को मिस्र से निकाल कर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा रही है."

Ägypten Kairo Proteste
मिस्र के प्रदर्शनों से चीन सरकार को डरतस्वीर: picture-alliance/dpa

चीनी नागरिकों के मिस्र से निकल जाने के बाद सरकारी मीडिया का ध्यान अब मिस्र में फैली अस्थिरता की खबरें देने पर है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार को ये खबर छापी कि राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने अपनी नई कैबिनेट के साथ बैठक की है और विरोध प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए सेना से कहा है. लुडविगशाफेन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर जोएर्ग रुडोल्फ ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "वो लोगों के सामने अशांति और अव्यवस्था को रख रहे हैं इस तरीके से वो ये दिखाना चाहते हैं कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन का होना बुरा है, हमें अपने स्थायित्व को बचाना है."

विरोध की धार को दबाना

चीनी मीडिया ने मिस्र के कवरेज में प्रमुख रूप से विरोध के कारणों की अनदेखी की है. हालांकि पूरी दुनिया में कई देशों की सरकारों ने राष्ट्रपति होस्नी मुबारक से दूरी बना ली है लेकिन चीन उनके साथ मजबूत से खड़ा है. वोल्टर्सफोर्ड ने कहा, "पश्चिमी देशों की रिपोर्टिंग ऐसी ही है जिसमें सड़कों पर खड़े लोगों के बारे में बात की जाती है लेकिन चीन में ऐसा नहीं होता. मुबारक को एक दोस्त के रूप में दिखाया जा रहा है. चीन के लिए मुबारक मिस्र में स्थायित्व लाने वाले नेता हैं. चीन की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. चीन को डर है कि मिस्र में मुबारक का विरोध कर रहे लोग चीनी लोगों के जेहन में थियानमन चौक की याद ताजा करें देंगे. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की आशंकाएं बेबुनियाद भी नहीं हैं. कुछ दिन पहले ट्विटर पर एक वीडियो दिखा जिसमें प्रदर्शनकारियों को पानी की धार से रोका जा रहा था. चीन में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों ने इसे तुरंत मिस्र का थियानमेन पल नाम दे दिया. इसके साथ वो विख्यात तस्वीर भी लगा दी गई जिसमें 1989 में हुए लोकतंत्र के पक्ष में प्रदर्शन के दौरान एक छात्र टैंक के सामने खड़ा हो जाता है." 1989 में चीन में हालात बेकाबू हो गए थे तब से वहां की सरकार ऐसी किसी भी चीज को लोगों के सामने नहीं आने देना चाहती जिससे कि इस पल की याद लोगों के जेहन में ताजा ह या उनमें विद्रोह की बयान उठने लगे.

रिपोर्टः थॉमस लैटशैन/ एन रंजन

संपादनः ओ सिंह