इंजीनियरों और ठेकेदारों की लापरवाही से हुए हादसे
डिजायन या मैटीरियल में जरा सी गड़बड़ होने पर पुलों और इमारतों के हादसे त्रासदी में बदल जाते हैं. एक नजर ऐसे बड़े हादसों पर.
चिराहारा ब्रिज, कोलंबिया
राजधानी बोगोटा और विलाविसेनसियो के बीच दो सुरंगों को जोड़ने के लिए चिराहारा पुल बनाया जा रहा था. लेकिन जनवरी 2018 में निर्माण के दौरान पुल का एक हिस्सा ढह गया. हादसे में नौ लोग मारे गए. गलत डिजायन वाले पुल को बाद में पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया.
स्टूडेंका ब्रिज, चेक गणराज्य
2008 में मरम्मत के दौरान स्टूडेंका ब्रिज अचानक ढह गया. हादसे के कुछ ही मिनटों बाद 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही ट्रेन मलबे से टकराई. जांच में पता चला कि पुल के निर्माण में कई तरह की खामियां थीं.
मिसिसिपी ब्रिज, अमेरिका
मरम्मत के कुछ ही दिनों बाद एक अगस्त 2007 को मिसिसिपी पुल का 580 मीटर लंबा हिस्सा ढह गया. 13 लोगों की जान लेने वाले इस हादसे के पीछे भी निर्माण संबंधी खामी सामने आई.
साम्पूंग सुपरमार्केट, दक्षिण कोरिया
29 जून 1995 को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एक बड़ा हादसा हुआ. सेकेंडों के भीतर साम्पूंग सुपरमार्केट की पूरी बिल्डिंग भरभरा गई. हादसे में 500 से ज्यादा लोग मारे गए. जांच में पता चला कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया था और कई मानकों की धज्जियां उड़ाई गई थीं.
राणा प्लाजा, बांग्लादेश
बांग्लादेश की राजधानी ढाका की गारमेंट फैक्ट्री राणा प्लाजा का हादसा ढांचागत नाकामी का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है. 24 अप्रैल 2013 को आठ मंजिला इमारत ढह गई और 1,135 लोग मारे गए. हादसे से ठीक एक दिन पहले इमारत में दरारें दिखीं. पुलिस के एंट्री बैन करने के बावजूद अगले ही गारमेंट कर्मचारियों को काम पर बुलाया गया.