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आ रहा है दुनिया का सात अरबवां बच्चा

२१ जून २०११

दुनिया की आबादी सात अरब होने वाली है. 31 अक्तूबर को सात अरबवां बच्चा पैदा होगा. अब चर्चा इस बात पर हो रही है कि यह बच्चा किस देश में पैदा होगा. एशियाई देश संभावितों में सबसे आगे हैं. लेकिन इसके असर बहुत बड़े हैं.

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तस्वीर: Fotolia

संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या डिविजन ने अनुमान लगाया है कि 31 अक्तूबर को यह ऐतिहासिक बच्चा पैदा होगा. और जानकारों का कहना है कि यह बच्चा एशिया में पैदा हो सकता है. हालांकि यह जन्म सांकेतिक ही होगा क्योंकि बच्चों की सटीक गिनती तो नहीं की जा सकती. लिहाजा यह नहीं बताया जा सकता कि वह सात अरबवां बच्चा या बच्ची कौन सा होगा.

एशिया ही क्यों

एशिया में इस बच्चे के पैदा होने की संभावना ज्यादा इसलिए है क्योंकि वहां सूरज पहले उगता है. यानी तारीख वहां पहले बदल जाएगी.

अगर अनुमान सही निकलते हैं तो यह बच्चा किसी शहरी इलाके में ही पैदा होगा क्यों कि एशिया इस वक्त जनसंख्या में बदलाव के दौर से गुजर रहा है. बड़ी तादाद में लोग गांवों में शहरों की ओर जा रहे हैं. एशियाई विकास बैंक के मुताबिक 2022 के आखिर तक तो एशिया में गांवों से ज्यादा लोग शहरों में बस रह रहे होंगे.

इस बदलाव के बारे में एशियाई विकास बैंक के कुछ आंकड़े हैरान करने वाले हैं. मसलन 20 साल के भीतर 1.1 अरब लोग एशियाई गांवों से शहरों की ओर चले जाएंगे. यानी रोजाना लगभग एक लाख 37 हजार लोग. इस हिसाब से, मैंकेजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट के मुताबिक, भारत को हर साल अमेरिकी शहर शिकागो जितनी सुविधाएं ज्यादा पैदा करनी होंगी. इनमें आवास और व्यवसाय के लिए जगह भी शामिल है.

In this photo taken Friday, April 17, 2009, a city view is seen from the observation deck of Seoul Tower , South Korea. With the South Korean currency, called the won, down against the dollar, now's the time to wander the grounds of 600-year-old palaces, meditate in Buddhist temples and trawl cafes and markets in the labyrinthine capital city, Seoul. (AP Photo/Ahn Young-joon)
दुनिया भर के शहरों की आबादी लगातार बढ़ती जा रही हैतस्वीर: AP

एमजीआई का अनुमान है कि चीन में जीडीपी का 60 प्रतिशत पैदा करने वाले टॉप 600 शहरों की सूची में अगले 15 साल में एक सौ नए शहर जुड़ जाएंगे.

सात अरबवें बच्चे का मतलब

सात अरबवां बच्चा पैदा होना दुनिया की जनसंख्या में हो रहे बड़े बदलावों की ओर इशारा करता है. 1960 के बाद से आबादी दोगुनी हो चुकी है. और सिर्फ 11 साल पहले पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने बोस्निया के सरायेवो में छह अरबवें बच्चे का स्वागत किया था. यह बच्चा 12 अक्तूबर 1999 को पैदा हुआ था. विशेषज्ञों का कहना है कि इंसानी आबादी, खासतौर पर शहरों में, इतनी तेजी से पहले कभी नहीं बढ़ी.

लेकिन शहरी आबादी में विस्फोट के साथ बड़ी समस्याएं भी पैदा होंगी. झुग्गी बस्तियों का आकार बढ़ेगा. अपराधों में इजाफा होगा. इन्फ्रास्ट्रक्चर कम पड़ने लगेगा. लेकिन एक बात है जो विशेषज्ञों को तसल्ली देती है. प्राचीन एथेंस और रोम के वक्त से ही बड़े शहरों ने मानव संसाधनों का फायदा उठाया है. इसलिए इन्हें आर्थिक और सामाजिक विकास का इंजन माना जाता है.

Indian worker Hari Shanker, right, who is HIV positive, marches with others during a rally calling for funding for programs in New Delhi, India, Tuesday, May 4, 2010. Asia, home to 60% of the world’s population, is second only to sub-Saharan Africa in terms of people living with HIV, and India, with roughly 2.5 million HIV-positive people, accounts for roughly half of Asia’s HIV prevalence, according to the UNAIDS. (AP Photo/Kevin Frayer)
आबादी बढ़ने से कई दूसरी समस्याएं भी आड़े आती हैं और सब तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का दबाव लगातार रहता हैतस्वीर: AP

क्या होगा शहरों का

ऑस्ट्रेलिया के जनसंख्या विशेषज्ञ और लेखक बर्नार्ड साल्ट कहते हैं, "इस ग्रह पर सबसे शक्तिशाली जगहें तो शहर ही हैं. वहां ज्ञान और सूचना के भंडार होते हैं. वहां राजनीतिक प्रशासन होता है. और वहीं से विचार दूसरी जगहों की ओर जाते हैं." साल्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहां सबसे प्रतिभाशाली और तेज लोगों का जमावड़ा होता है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडवर्ड ग्लाएसर ने शहरों पर लिखी अपनी किताब ट्रायंफ ऑफ द सिटीः हाऊ अवर ग्रेटेस्ट इन्वेंशन मेक्स अस रिचर, स्मार्टर, ग्रीनर, हेल्दियर एंड हैपियर में अपनी राय कुछ इस तरह जाहिर की है, "दुनिया के सबसे गरीब इलाकों में शहर तेजी से फैल रहे हैं क्योंकि शहरी जीवन गरीबी से संपन्नता की ओर सबसे स्पष्ट रास्ता है."

लेकिन साल्ट इस बात की चेतावनी भी देते हैं कि गांवों से शहरों की ओर पलायन से मध्य वर्ग की संपन्नता का रास्ता इतना भी आसान नहीं है. ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इस रास्ते की अंधी दौड़ में कुचले जाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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