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आसान निशाना बन रहा है संयुक्त राष्ट्र

Onkar Singh२७ अगस्त २०११

शुक्रवार को नाइजीरिया के संयुक्त राष्ट्र परिसर पर हुआ हमला इस बात का अहसास करा रहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय संगठन चरमपंथियों के लिए आसान निशाना बनता जा रहा है. कम से कम संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून तो यही मानते हैं.

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तस्वीर: dapd

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने अबूजा में हुए हमले की कड़ी निंदा की है. हमले के तुरंत बाद ही उन्होंने अपने डेपुटी और नाइजीरिया के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रमुख को वहां के नेताओं से मिलने और सुरक्षा की हालत का जायजा लेने के लिए भेज दिया. बान की मून ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र परिसर में 26 एजेंसियां काम कर रही हैं और कार बम धमाके से भारी पैमाने पर नुकसान का अंदेशा है. पत्रकारों से बातचीत में बान की मून ने कहा,"यह उन लोगों पर हमला है जो अपना जीवन दूसरों की मदद करने में बिता रहे हैं. हम इस निर्मम कार्रवाई की निंदा करते हैं."

Anschlag auf ein UN Büro in Abuja Nigeria
तस्वीर: dapd

संयुक्त राष्ट्र महासचिव सुरक्षा परिषद की दुनिया भर में शांतिबहाली के मुद्दे पर होने वाली बैठक में आए थे. बैठक पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट के मौन के साथ शुरू हुई. बैठक में बान की मून ने हमलों के डर का जिक्र किया. 15 सदस्य देशों की परिषद में मून ने कहा, "मैं साफ साफ कह देना चाहता हूं कि इस तरह की आतंकवादी कार्रवाइयां स्वीकार नहीं की जा सकतीं, ये लोग हमें नाइजीरिया और दुनिया के लोगों के लिए किए जाने वाले कामों से नहीं हटा सकते. इस घृणित और हैरान करने वाली घटना ने साबित कर दिया है कि संयुक्त राष्ट्र परिसर को आतंकवादी की नजर में एक आसान निशाना बनते जा रहे हैं."

नाइजीरिया दौरे पर गए बान की मून संयुक्त राष्ट्र के अबूजा मुख्यालय में दो महीने पहले ही गए थे. संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव एश रोज मिगिरो और सुरक्षा मामलों के प्रमुख ग्रेग स्टार को नाइजीरिया भेजा गया. ये लोग नाइजीरिया के राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन से बातचीत कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र पर हमलों में तेजी

पिछले कुछ दशकों में संयुक्त राष्ट्र के दफ्तरों को आतंकवादी कार्रवाइयों का निशाना बनाने की घटनाओं में काफी तेजी आई है. 2003 में 19 अगस्त को बगदाद के यूएन दफ्तरों पर हुए हमले में 22 लोग मारे गए. इनमें इराक के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि सर्जियो वियेरा डि मेलो भी थे. इसके बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र परिसरों पर कई हमले हुए हैं. इसी तरह 2007 में अल्जीरिया के संयुक्त राष्ट्र परिसर पर हुए कार बम से हमले में 18 लोग मारे गए.

Selbstmordanschlag in Afghanistan
तस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र के लिए यह साल खासतौर से ज्यादा कठिन रहा है क्योंकि दुनिया भर में इसकी इमारतों और इसके शांति सैनिकों पर हमले हुए हैं. सिर्फ इतना ही नहीं विमान दुर्घटनाओं और दूसरे तरह की आपदाओं ने भी उसकी मुसीबत बढ़ाई है. 5 अप्रैल को कान्गो में हुए एक विमान हादसे में संयुक्त राष्ट्र के 32 कर्मचारियों की मौत हो गई. सूडान में इसी महीने हुए एक बारुदी सुरंग धमाके में संयुक्त राष्ट्र के चार इथियोपियाई शांतिरक्षक मारे गए. दारफुर में भी दो अफ्रीकी शांतिसैनिकों की मौत हुई है. जनवरी 2010 में हैती में आए भूकंप ने 100 से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों की जान ले ली. जो किसी एक घटना में अब तक सबसे ज्यादा मरने वाले संयुक्त राष्ट के कर्मचारियों की संख्या है.

सुरक्षा मामलों के जानकार लगातार इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र और उसके सहायक संगठन आतंकी हमलों का निशाना बन रहे हैं. पिछले दशक में मरने वाले सहायता कर्मचारियों की संख्या तीन गुनी बढ़ गई है. हर साल औसतन 100 राहतकर्मी किसी न किसी तरह से मौत का शिकार हो रहे हैं. पिछले चार सालों से हर साल अगवा होने वाले कर्मचारियों की संख्या भी 40 पर पहुंच गई है. 2005 से अब तक केवल अफगानिस्तान में ही सहायताकर्मियों पर अब तक 180 हमले हुए हैं. इनके अलावा सूडान में 150 और सोमालिया में 100 हमले हुए हैं. 

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह