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आम अफगानों की हत्या की, कोर्ट मार्शल

२४ मार्च २०११

एक अमेरिकी सैनिक ने आम अफगान लोगों की हत्या का जुर्म कबूल लिया है. वह अपने तीन साथियों के खिलाफ भी इस मामले में गवाही देने को तैयार है. उम्र कैद से बचने के लिए उसने अपना जुर्म कबूला है.

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अफगानिस्तान में तैनात हैं एक लाख अमेरिकी सैनिकतस्वीर: AP

कोर्पोरल जेरेमी मॉरलॉक ने तीन लोगों की हत्या करने या इसमें मदद की बात मान ली है और यह भी माना कि इसके लिए गैरकानूनी तरीके से हासिल हथियारों का इस्तेमाल किया गया. मॉरलॉक की कोर्ट मार्शल के दौरान पता चला कि उसने उम्र कैद की सजा से बचने के लिए अपना जुर्म कबूल लिया है.

अब उसे सैन्य जेल में 24 साल काटने होंगे और अपमानजक तरीके से सेना से उसकी विदाई होगी. मॉरलॉक के वकील का कहना है कि वह सात साल तक जेल में रहने के बाद पैरोल की अपील कर सकता है.

मीडिया के मुताबिक मॉरलॉक और उसके साथियों ने फर्जी मुठभेड़ में लोगों को मारा और फिर उनके हाथ में हथियार थमा दिए ताकि यह लगे कि वे तालिबान लड़ाके थे. इतना ही नहीं हत्या के बाद शवों पर बर्बरता भी की गई. जर्मनी की पत्रिका डेयर श्पीगल ने इस खबर को ब्रेक किया और कुछ ऐसी तस्वीरें भी दिखाईं, जिसमें अमेरिकी सैनिक अफगान नागरिकों के कटे हुए सिर हाथ में लिए घूमते दिख रहे हैं.

मॉरलॉक पांच सदस्यों वाली यूनिट का पहला सदस्य है जिसका कोर्ट मार्शल हुआ है. इन लोगों को कुछ महीने पहले ही अफगानिस्तान के दक्षिणी कंधार इलाके में तैनात किया गया था.

अभियोजन पक्ष का कहना है कि खुद को किल स्क्वैड कहने वाले इन लोगों ने उस सैनिक को भी निशाना बनाया जिसने उनके बारे में हिंसा और नशीली दवाओं के इस्तेमाल को लेकर शिकायत दर्ज कराई. मॉरलॉक ने बताया कि आम लोगों को निशाना बनाने की यह साजिश सबसे पहले नवंबर 2009 में बनाई गई. मॉरलॉक इन पांच लोगों का लीडर बताया जाता है. किल स्क्वैड के हाथों पहली मौत जनवरी 2010 में हुई. मॉरलॉक ने साफ तौर पर माना कि उसका इरादा निर्दोष लोगों की हत्या करना था.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल

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