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आप्रवासियों के समेकन के प्रयास

महेश झा३१ जनवरी २००८

हेस्से प्रदेश के चुनाव प्रचार में हिंसक युवा आप्रवासियों पर गरमागरम बहस के बाद जर्मन सरकार आप्रवासियों के समाज में घुलने मिलने को फिर से प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

इस उद्देश्य से बर्लिन में जर्मन सरकार की आप्रवासन दूत मारिया बोएमर ने बुधवार को लगभग 70 आप्रवासी संगठनों के साथ भेंट की. इस भेंट में जुलाई 2007 में तय राष्ट्रीय समेकन योजना के कार्यान्वय पर चर्चा हुई.
मारिया बोएमर ने कहा है कि 2008 का साल आप्रावासियों के समाज में समेकन का साल होगा. हम की भावना को प्रोत्साहित किया जाएगा. बैठक में सवाल यह था कि ऐसा हो कैसे? और स्वाभाविक रूप से हेस्से के चुनाव प्रचार की भी चर्चा हुई, हालांकि यह एजेंडे पर नहीं था.

बोएमर ने, जो स्वयं हेस्से के मुख्यमंत्री रोलांड कॉख़ की तरह सीडीयू पार्टी की हैं, कहा कि दोनों ही पक्षों की ओर से मामले को गंभीर बनाया गया जिससे समेकन को लाभ नहीं पहुँचा है. मारिया बोएमर का कहना है कि समेकन के मुद्दे को सामने रखा जाना चाहिए और यह देश की सबसे बड़ी चुनौती है.

उधर सीडीयू के 17 प्रमुख नेताओं ने हेस्से के चुनाव अभियान से दूरी बनाते हुए समेकन नीति में दलगत राजनीति से परे एक व्यापक सहमति की मांग की है. इसमें कहा गया है कि आप्रवासियों को समाज के साथ जोड़ना देश के भविष्य के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि उसे चुनावी संघर्ष का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.

चुनावों में कॉख़ के मतों में 12 प्रतिशत की कमी दिखाती है कि आप्रवासियों का मुद्दा संवेदनशील मुद्दा बनता जा रहा है. आखिरकार आठ करोड़ आबादी वाले जर्मनी में डेढ़ करोड़ लोग आप्रवासी पृष्ठ भूमि के हैं. फिर भी आप्रवासी किशोरों में हिंसा का मुद्दा गंभीर मुद्दा है.

सीडीयू में जर्मन तुर्क फ़ोरम के प्रमुख ब्युलेंट अर्सलान कहते हैं कि युवा अपराधवृत्ति की समस्या परिवारों को बहुत चिंतित कर रही है, सरकार जितना विचार कर रही है उससे कहीं गंभीर रूप से.

अर्सलान का कहना है कि परिवारों तक पहुँचना ज़रूरी है और वह तुर्क संगठनों तथा तुर्क अख़बारों के ज़रिए ही संभव होगा. दूसरी ओर तुर्क अभिभावक संगठन विभिन्न स्कूलों में स्थिति में सुधार में योगदान बढ़ा रहे हैं. जबकि अर्थव्यवस्था ने आप्रवासी किशोरों के लिए 10 हज़ार प्रशिक्षण स्थान देने का वायदा किया है.