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आजादी की तलाश में

३० अक्टूबर २०१२

जर्मनी में प्रवासी परिवारों के युवा लॉटरी के नशे का शिकार बन रहे हैं. पढ़ाई और समाज में घुलने मिलने के कम मौकों से ऐसा हो रहा है. इसे कमजोरी समझा जाता है, बीमारी नहीं. इसलिए नशे से आजादी की तलाश मुश्किल साबित हो रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दो सेकंड के बाद ही स्क्रीन पर तीन नई तस्वीरें आ जाती है. फिर जीतने में नाकाम रहे और मशीन के निचले हिस्से में लगातार पैसे कम होते जा रहे हैं. चान के साथ ऐसा कई बार हुआ है, लेकिन फिर भी लॉटरी मशीन की लत से वह अपना पीछा नहीं छुड़ा पाते, "ऐसे कई दिन थे जब मैं लगातार लॉटरी मशीन पर खेलता रहा, कभी कभी तो सात-सात घंटे." चान का असली नाम कुछ और है, जो वह बताना नहीं चाहते.

मर्ज की दवा नहीं

यह अबूजेर चेविक के लिए नई बात नहीं. चेविक जूए की लत से परेशान लोगों को सलाह देते हैं. तुर्की भाषा बोलने वाले चेविक इस लत से जूझ रहे लोगों को आम तौर पर इलाज के लिए नहीं ला पाते. "पहले तो इन्हें डर लगता है कि इनके परिवारों को पता चल जाएगा और फिर यह मानना भी नहीं चाहते कि वे बीमार हैं." और जब लत से परेशान लोग इसके खिलाफ कुछ करना भी चाहते हैं तो फिर उनके दिमाग में कई तरह के पूर्वाग्रह होते हैं. नीदा यापार हैम्बर्ग में जुए के नशे के इलाज पर काम कर रही हैं. कहती हैं, "उन्हें लगता है कि वह एक गोली ले लेंगे और सब ठीक हो जाएगा."

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

नशा अब भी एक ऐसा मुद्दा है जिस बारे में लोग बात नहीं करना चाहते हैं. मगरीब से आ रहे पुरुषों को बहुत अहंकार भी होता है और वह सोचते हैं कि यह उनके चरित्र में कमजोरी दिखाता है. "एक हारे हुए व्यक्ति के बजाय वे एक अमीर व्यक्ति के तौर पर पेश आना चाहते हैं, उनके परिवार भी उनसे यही उम्मीद करते हैं." इसलिए नशे को खत्म करने के बजाय यह कर्ज में डूबते जाते हैं.

परिवार और दोस्तों से दूर

चान ने एक बार महीने की पहली तारीख को ही अपना सारा पैसा लॉटरी मशीन की भेंट कर दिया. फिर उसे अपने परिवार से पैसे मांगने पड़े, "मैंने उनसे कुछ और ही बहाना बनाया." लेकिन उसके करीब के कई लोगों को पता है, उन्हें चान के बारे में पता है. उसकी गर्लफ्रेंड उससे दूर हो गई और उसकी मां उसे घर से निकालना चाहती थीं. उसका दोस्त चेम भी उससे अलग हो गया. चेम ने कहा, "मैं भी उससे दूर रहने लगा था. मैं इस खेल के साथ कहीं से जुड़ना नहीं चाहता था."

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तस्वीर: picture alliance/dpa

चान और चेम हैम्बर्ग के बिलश्टेड इलाके में रहते हैं. यहां का हर पांचवां व्यक्ति सरकारी भत्ते पर जीता है. प्रवासियों की संख्या बहुत ज्यादा है. कई युवाओं को पढ़ने का मौका नहीं मिला और खाली वक्त बिताने के लिए विकल्प ज्यादा नहीं हैं. लेकिन इस तरह के जुए के मशीनों वाली जगहें काफी हैं.

मुफ्त में खाना

सलाहकार चेविक बताते हैं, खेल क्लबों में यह लोग अपने दोस्तों से मिलते हैं, बातचीत करते हैं और उन्हें वहां मुफ्त में खाने पीने का सामान मिलता है. क्लब सामाजिक जीवन का हिस्सा है, यहां इन्हें अच्छा लगता है. यह हमेशा खुले रहते हैं और बाहर के ठंड से बचने का यह अच्छा मौका है. प्रवासी परिवार से आनेवाला हर दसवां युवक यहां बाजियां लगाता है, हर 20वां मशीनों में जुआ खेलता है. जर्मन बच्चों में यह संख्या आधी है. यह नतीजे हाल में हैम्बर्ग नशा निरोधी संस्थान के सर्वे में पता चले हैं. जर्मनी में कुल पांच लाख लोगों को जुए की लत है.

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तस्वीर: Klaus Eppele/Fotolia

हैम्बर्ग में तुर्की समुदाय के वरिष्ठ सदस्य मुराद गोजे कहते हैं, "हमें प्रवासियों को नशे से दूर रखने के लिए सलाह केंद्रों की जरूरत है ताकि इन्हें मदद मिल सके." इस वक्त उनकी संस्था हैम्बर्ग में स्वास्थ्य अधिकारियों से बिलश्टेड के लिए पैसे जुटाने की कोशिश कर रही है क्योंकि इस इलाके में यह परेशानी काफी फैल गई है. गोजे को भी पता है कि क्लब चलाने वालों के बिना यह काम नहीं हो सकता. उन्हें क्लबों में पर्चे लगाने होंगे ताकि युवक सलाह केंद्रों तक पहुंच सकें.

काम से थकान

लेकिन चेम कहते हैं कि इससे कोई फायदा नहीं होगा, "जरूरी यह है कि आप बच्चों और नौजवानों का मार्गदर्शन करें और उन्हें पढ़ाई करने के मौके दें ताकि वे सड़कों पर घूमना बंद करें." 23 साल के चान को भी यह पता चल गया है. कुछ महीनों से वह सप्लायर का काम कर रहा है और क्लब में कम ही जाता है. नशा काफी दिनों तक रहा लेकिन उसका कहना है कि काम के बाद वह इतना थक जाता है कि वह घर जाकर केवल सोना चाहता है.

रिपोर्टः काटरीन एर्डमन/एमजी

संपादनः महेश झा

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