आजमगढ़ से 'दे घुमा के'
१ फ़रवरी २०११''जियो खिलाड़ी वाहे वाहे
जियो खिलाड़ी वाहे वाहे
एड़े पेड़े...दे घुमा के
आरे पारे...दे दे घुमा के
गुत्थी गुत्थम...दे घुमा के
अड़चन खड़चन...दे दे घुमा के
जियो खिलाड़ी वाहे वाहे''
वर्ल्ड कप से इस थीम सॉन्ग को सुनने के बाद गगनचुंबी छक्के, ताबड़तोड़ चौके और ऊटपटांग शॉट्स मारने की कोशिश में आउट होते बल्लेबाज याद आते है. वीर रस से सराबोर यह गीत आजमगढ़ के मनोज यादव ने लिखा है. संगीत शंकर एहसान लॉय ने दिया है.
मनोज का ये गीत अभी से लोकप्रिय होने लगा है. गाड़ियों से लेकर बच्चों की जुबान तक इन दिनों 'दे घुमा के' कह रही है. खुद मनोज कहते हैं, ''वर्ल्ड कप के थीम सॉन्ग के तौर पर मेरे गीत को चुना जाना मेरे लिए सम्मान की बात है. मुझे आशा है कि लोगों को थीम सॉन्ग पसंद आएगा.''
मनोज के थीम सॉन्ग का कमाल अखबारों और वेबसाइटों पर भी दिखाई पड़ रहा है. क्रिकेट की खबरों की हेडलाइन 'दे घुमा के' सब टाइटल के तहत लिखी जा रही है.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: महेश झा