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आईएसआई पर गहराता अमेरिका का शक

१७ सितम्बर २०११

अमेरिका को शक है कि काबुल में उसके दूतावास पर हुए हमले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ भी है. यह पहला मौका है जब अमेरिकी अधिकारी खुलकर आईएसआई का नाम ले रहे हैं. दोनों देशों के रिश्तों में भारी खटास.

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तस्वीर: dapd

दिग्गज अमेरिकी अखबार 'द वॉल स्ट्रीट जनरल' ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा है, "हमले के कुछ ही घंटों बाद इसमें आईएसआई की भूमिका पर विचार किया जाने लगा. हमले का निष्कर्ष बुधवार को राष्ट्रपति बराक ओबामा की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में निकाला जाएगा." काबुल में इसी हफ्ते अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ. आतंकवादियों के अचानक हमले में 27 लोग मारे गए.

अमेरिकी रक्षा तंत्र से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आईएसआई का हक्कानी गुट को संरक्षण और मदद देने का इतिहास रहा है. पुरानी घटनाओं को देखते हुए यह देखना जरूरी है कि काबुल में हाल में हुई हिंसा में खुफिया एजेंसी की भूमिका तो नहीं है. द वॉल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक दूतावास पर हुए हमले में अभी तक आईएसआई के खिलाफ ऐसा सबूत नहीं मिला है कि कार्रवाई की जा सके. अधिकारी ने अखबार से कहा, "हम बारीकी से जांच कर रहे हैं. यह दिखाता है कि वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच इस वक्त गहरा अविश्वास है."

Afghanistan Kabul Taliban greifen Regierungsviertel an
तस्वीर: dapd

दरअसल यह शक एक मोबाइल फोन से शुरू हुआ. अफगान अधिकारियों को मारे गए एक हमलावर का मोबाइल फोन मिला. जांच में पता चला कि हमलावर 'अफगानिस्तान के बाहर' के लोगों के संपर्क में था. पाकिस्तान का कहना है कि हर हमले के बाद अफगान अधिकारी ऐसी ही बात करते हैं. लेकिन इस बार कुछ पुराने मामलों का जिक्र भी किया जा रहा है. 2008 और 2009 में काबुल स्थित भारतीय दूतावास में हुए धमाकों में आईएसआई की भूमिका सामने आई थी. कई महीनों की जांच के बाद यह पुष्ट हुई.

यह पहला मौका जब हमले के कुछ ही दिनों बाद अमेरिकी अधिकारी खुलकर आईएसआई पर शक जता रहे हैं. माना जा रहा है कि अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बर्ताव से बुरी तरह झल्लाए हुए हैं. अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा भी मान रहे हैं कि काबुल में हो रही हिंसा के लिए हक्कानी गुट जिम्मेदार है. हक्कानी अफगानिस्तान के आतंकवादियों का संगठन है, जिसका इतिहास आईएसआई से जुड़ा है. अमेरिकी अधिकारी अब साफ शब्दों में कहने लगे हैं कि बीते सालों में आईएसआई ने काबुल पर हमले करने में हक्कानी गुट की मदद की है.

Taliban Führer Jalaluddin Haqqani
तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान के व्यवहार के चलते भी अमेरिका का शक बढ़ रहा है. पाकिस्तान के शहर एबटाबाद में दो मई को अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बाद से ही वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच कडुवाहट है. द्विपक्षीय संबंध भी खराब होते चले जा रहे हैं. थिंक टैंक रैंड कॉर्प के राजनीतिशास्त्री सेट जॉन्स कहते हैं, "धैर्य रखने की सीमा खिड़की के बाहर जा चुकी है." अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पाकिस्तान से साफ कह चुका है कि वह हक्कानी गुट पर कार्रवाई करे.

अमेरिका अपनी सेना को अफगानिस्तान से हटाने का एलान कर चुका है. इस एलान के बाद से ही अफगानिस्तान में आतंकी हमले बढ़े हैं. अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के भाई समेत कई कद्दावर और असरदार नेता मारे जा चुके हैं. अमेरिकी रक्षा अधिकारियों को लग रहा है कि आईएसआई हक्कानी गुट की मदद से यह हिंसा करवा रही है.

पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पाकिस्तान सरकार ने आरोपों को अनुचित और शर्मनाक बताया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

 

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