अर्जेंटीना और बेल्जियम जीते
आखिरी आठ में पहुंचने वाली दो टीमों का फैसला मंगलवार को हो गया. अर्जेंटीना ने स्विट्जरलैंड को पराजित किया, तो बेल्जियम ने अमेरिका को हरा कर आगे का रास्ता तय किया. देखते हैं इन मैचों की कुछ तस्वीरें.
मेसी का मैजिक नहीं दिखा
अर्जेंटीना के लायोनल मेसी का करिश्मा बहुत देर तक नहीं चल पाया. यहां तक कि मैच के एक्स्ट्रा टाइम के आखिरी लम्हे पास आ गए और लगने लगा कि यह पेनाल्टी शूटआउट में जा सकता है. लेकिन आखिर में मेसी ने शानदार पास दिया, जिस पर गोल हुआ और अर्जेंटीना की जीत.
हिट्जफेल्ड की मायूसी
स्विट्जरलैंड के वरिष्ठ कोच ओटमार हिट्जफेल्ड इस मैच में कुछ बुरी खबर के साथ पहुंचे. लंबी बीमारी के बाद एक रात पहले उनके बड़े भाई की मौत हो गई. इस मैच को उन्होंने अपने करियर का आखिरी मैच बना लिया और अब वह रिटायर हो रहे हैं.
स्विस जादू
मैच में भले ही बहुत हलचल न हुई हो लेकिन स्विट्जरलैंड ने अपना काम बखूबी किया. पहले हाफ में तो उन्होंने अर्जेंटीना को गोल करने का कोई मौका ही नहीं दिया. डिफेंस और मिडफील्ड में उनके खिलाड़ियों का जवाब नहीं.
खोए हुए मौके
स्विस खिलाड़ियों को ब्रेक से पहले कुछ मौके जरूर मिले लेकिन वे इसका फायदा नहीं उठा पाए. एक खास बात यह रही कि स्विट्जरलैंड की टीम के 11 में से सात खिलाड़ी जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा में खेलते हैं.
नहीं हुआ गोल
जोसिप दरमिच के पास ब्रेक से पहले सबसे अच्छा मौका था, जब उन्हें साथी खिलाड़ी से पास मिला. लेकिन वे इस मौके को गोल में नहीं बदल पाए.
डी मारिया ने मारा गोल
आंजेल डी मारिया ने खेल खत्म होने से ठीक पहले 118वें मिनट में गोल कर दिया. उनके इस गोल का रास्ता अर्जेंटीना के मेसी ने खोला.
आखिरी क्षण तक संघर्ष
इस गोल के बावजूद स्विस खिलाड़ियों ने हिम्मत नहीं हारी. यहां तक कि गोलकीपर भी सीधे हमले पर लग गए. यह बात अलग है कि उसके बाद उनके पास ज्यादा समय ही नहीं बचा.
बेल्जियम बनाम अमेरिका
इन दोनों टीमों में जाहिर तौर पर बेल्जियम को मजबूत माना जा रहा था लेकिन अमेरिका ने उसे जबरदस्त चुनौती दी और पहले हाफ में दोनों में से कोई टीम गोल नहीं कर पाई.
अमेरिका का सॉकर
शायद गिने चुने मौकों पर ही अमेरिका में फुटबॉल को लेकर इस तरह का जोश दिखता है. लोग दूर दूर से स्टेडियमों में जमा होकर मैच देख रहे थे.
क्लिंसमन का करिश्मा
अमेरिका के कोच जर्मनी के पूर्व खिलाड़ी युर्गेन क्लिंसमन हैं, जिन्होंने टीम को खूब मांजा है. उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि पुर्तगाल और जर्मनी जैसी टीमों के साथ होते हुए भी वह आखिरी 16 में प्रवेश कर पाई.
आखिरकार गोल
खेल एक्स्ट्रा टाइम में गया और जिसके बाद बेल्जियम की टीम ने आखिरकार गोलकीपर को धता बताई. डी ब्रोयने को मौका मिला और उन्होंने गोल करके अपनी टीम को बढ़त दिला दी.
दूसरे गोल से पक्का
लेकिन जब रोमेलू लुकाकू ने अपनी टीम के लिए दूसरा गोल कर दिया, तो यह बात पक्की हो गई कि आखिरी आठ टीमों में बेल्जियम का ही नाम लिखा जाएगा, अमेरिका का नहीं.
सांत्वना वाला गोल
हालांकि एक्स्ट्रा टाइम के दूसरे हिस्से में अमेरिका ने एक गोल उतार दिया. लेकिन नतीजा नहीं बदल पाया.