अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
एर्त्सगेबिर्गे का मतलब होता है अयस्क के पहाड़. जर्मनी के एर्त्सगेबिर्गे इलाके में क्रिसमस अलग तरह से मनाया जाता है. कई परंपराएं ऐसी हैं, जो पीढ़ियों से चली आ ही हैं. उस जमाने से जब यहां खदानों से चांदी निकाली जाती थी.
रोशनी की रखवाली
खनिक शुभकामनाएं देते हुए कहते हैं, "जो अच्छा है, उसे अपने पास रखो". आज भी क्रिसमस की रोशनी में उन लोगों के बारे में सोचा जाता है, जो कभी खानों में काम किया करते थे. पहले एडवेंट यानि एक से छह दिसंबर के बीच खिड़कियों को कंदीलों और मोमबत्तियों के मेहराब से सजाया जाता है. परंपरा कहती है कि सजावट में सिर्फ सफेद रोशनी का इस्तेमाल हो.
लकड़ी की नक्काशी
यह इलाका क्रिसमस की सजावट के लिए मशहूर है. ज्यादातर चीजें हाथ से बनी लकड़ी की चीजें होती हैं. सजावट के लिए भी खानों के अंदर की चीजों को दर्शाया जाता है. मिसाल के तौर पर यह क्रिसमस पिरामिड दिखा रहा है कि किस तरह घोड़े की मदद से जमीन के भीतर से पत्थरों और अयस्कों को बाहर निकाला जाता है.
खिलौनों का शहर जाइफेन
खनन उद्योग में जब पहली बार 1650 में संकट पैदा हुआ, तो स्थानीय लोगों ने लकड़ी के काम को अपना लिया. बाद में यह परंपरा बन गई. जाइफेन गांव में ढेरों लकड़ी के खिलौनों की दुकानें और वर्कशॉप हैं. इसकी वजह से क्रिसमस के दौरान सैक्सनी में जाइफेन सबसे ज्यादा पर्यटन वाला गांव बन जाता है.
जहां धुआं छोड़ते लोग हैं
ये पुतले भी एर्त्सगेबिर्गे इलाके की क्रिसमस की खासियत हैं, "स्मोकिंग मेन". इस तरह की अगरबत्तीदान को यहां गढ़ा जाता है और इनकी खूब बिक्री होती है. जाइफेन की एक दुकान में तैयार ये स्मोकिंग मेन अपनी पाइपों का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद इन्हें दुनिया भर में भेजा जा सकता है. लकड़ी के इन सांचों में अलग अलग खुशबू की अगरबत्तियां भरी जाती हैं.
लकड़ी की नक्काशी का म्यूजियम
जिसे भी लकड़ी की नक्काशी के बारे में ज्यादा जानना है, उसे बुर्ग शार्फेनश्टाइन जाना चाहिए. यह इसी नाम के गांव में है. यहां पारंपरिक अयस्क पहाड़ियों की लकड़ी की नक्काशी की कुछ बारीक नमूने रखे हैं. इस किले के परिसर में भी क्रिसमस मनाया जाता है.
श्नेबर्ग में रोशनी का त्योहार
दिसंबर के दूसरे हफ्ते के आखिर में रोशनी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे स्थानीय तौर पर लिश्टेलफेस्ट कहा जाता है. यह श्नेबर्ग में मनाया जाता है. क्रिसमस मार्केट में पारंपरिक हस्तकला की चीजें बिकती हैं और कई कंसर्ट आयोजित किए जाते हैं. मिसाल के तौर पर वाइसर हिर्ष नाम के एक खान का दौरा भी कराया जाता है.
क्रिसमस अंडरग्राउंड
एर्त्सगेबिर्गे के खनिकों में मेटेनशिष्ट की पुरानी रिवायत रही है. क्रिसमस के पहले आखिरी शिफ्ट को यह नाम दिया जाता था. यह शिफ्ट आम शिफ्टों से पहले खत्म हो जाती थी और इसके खत्म होते ही जश्न मनाया जाता था, खाना खाया जाता था. कई जगहों पर इस रिवायत को अब भी बचा कर रखा गया है और यहां आने वालों को इसका अहसास कराया जाता है.
जर्मनी की सबसे बड़ी खनिक परेड
सैक्सन खनिक संघ की अन्नाबेर्ग-बुखहोल्त्स में सालाना परेड होती है, जो क्रिसमस की खासियतों में शामिल है. सैक्सनी और जर्मनी के दूसरे खनन वाले इलाकों से करीब 1200 खनिक यहां आते हैं. इस दौरान वे पारंपरिक पोशाकें भी पहनते हैं. क्रिसमस के दौरान इस तरह की 30 परेड होती हैं और आखिरी परेड क्रिसमस से ठीक पहले वाले रविवार को होती है.
वाह सर्दी !
फिष्टेलबर्ग के पहाड़ी शिखर पर पूर्ण शांति का अहसास होता है. 1214 मीटर ऊंचा और एर्त्सगेबिर्गे इलाके की सबसे ऊंची जगह. यहां चारों तरफ सर्दियों के रास्ते तराशे हुए दिखते हैं. जो स्पोर्ट्स का मिजाज रखते हैं, वे स्की भी कर सकते हैं.