1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अमेरिकी सीनेट ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाए

२ दिसम्बर २०११

अमेरिकी सीनेट ने ईरान के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इसके तहत ईरान के केंद्रीय बैंक को वैश्विक वित्तीय प्रणाली से परे रखा जाएगा. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आग लग सकती है.

https://p.dw.com/p/13LDU
प्रतिबंधों पर विवादःअमेरिकी सीनेटतस्वीर: AP

डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर रॉबर्ट मेनेंदेज और रिपब्लिकन पार्टी के मार्क कर्क ने मांग की है कि अमेरिका में उन सारी कंपनियों की संपत्ति को जब्त कर ली जाए, जो ईरान केंद्रीय बैंक के साथ व्यापार करती हैं. यह खास तौर पर उन बैंकों के लिए है जो अमेरिकी नहीं हैं और जिन्हें केवल ईरान के साथ तेल व्यापार के लिए स्थापित किया गया है. तेल ईरान का सबसे महत्तवपूर्ण निर्यात है.

Iranische Erdölanlage am persischen Golf
तेल ईरान का मुख्य निर्यात हैतस्वीर: Fars

कर्क ने कहा, "यह एक सही कदम है जो सही समय पर हो रहा है. इससे हम एक गैर जिम्मेदार शासन को बहुत ही बड़ा संदेश भेज रहे हैं." मेनेंदेज का मानना है कि यह ऐसी कूटनीति है जिससे शांतिपूर्वक तरीके से ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटने में मदद मिलेगी. हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि विश्व बाजार में ईरान से अगर तेल आना बंद हुआ, तो तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे फिर ईरान को ही फायदा होगा. अमेरिका खाद्य सामग्री, दवाइयों और जरूरी सामान पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा.

लेकिन अमेरिका में भी कई नेता इन प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं. राजनीतिक मामलों के लिए उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन और वित्तीय मंत्रालय में आतंकवाद और वित्तीय जानकारी के उप मंत्री डेविड कोहन ने कहा कि इस योजना से अमेरिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कुछ खास मित्रों को खो सकता है. शेरमन ने कहा, "हम सब इस बात से सहमत हैं कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य, इनकी प्रेरणा, ईरान की अर्थव्यवस्था पर निशाना साधना है. लेकिन इसमें एक बड़ा खतरा है. इससे तेल के दाम और बढ़ेंगे, जिसका मतलब है कि ईरान के पास अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए ज्यादा पैसे होंगे." शेरमन के मुताबिक अमेरिका की कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय गठबंधन पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए.

Iran Ölbörse
तेल के बढ़ते दामों से ईरान को हो सकता है फायदातस्वीर: Mehr

वहीं रिपब्लिकन सेनेटर रिचर्ड लूगर का मानना है कि अमेरिका के पास दो रास्ते हैं. इनमें से एक है चीन के साथ बातचीत, और दूसरा, ईरान के साथ युद्ध. लूगर का कहना है कि चीन वैसे भी इस पूरे मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है. शेरमन के मुताबिक ईरान पर हमला भी एक विकल्प है, "ईरान को यह बात समझ में आती है और वे अखबार पढ़ते हैं और उन्हें पता है क्या हो रहा है. उन्हें मालूम है कि यह एक बड़ी संभावना है."

अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा मिलकर अपने अंतिम प्रस्ताव राष्ट्रपति ओबामा को भेजेंगे. इस विधेयक पर उनके हस्ताक्षर के बाद प्रतिबंध लागू हो जाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी