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अमेरिकी राजनयिकों को परेशान कर रहा है पाकिस्तान

२२ जून २०१२

अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान में तैनात अमेरिकी राजनयिकों को परेशान किया जा रहा है और ऐसा पाकिस्तान की तरफ से जानबूझ कर हो रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह कहा गया है.

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तस्वीर: AP

अमेरिकी दूतावास ने इन्हें सोच समझ कर और योजना के अनुसार की जा रही परेशानियों का नाम दिया है और कहा है कि पाकिस्तान के ऐसे रुख के कारण दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ रहा है. 76 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है, "पाकिस्तान की ओर से आधिकारिक स्तर पर खड़ी की जा रही अडचनें और परेशानियां इस हद तक बढ़ चुकी हैं कि अब वे राजनयिकों के काम और योजनाओं को अमल में लाने के रास्ते में आने लगी हैं."

रिपोर्ट में इन परेशानियों की सूची तैयार की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राजनयिकों को वीजा देने में देरी की जाती है, राहतकार्य के लिए सामान ले जा रहे जहाजों को रोका जाता है और अमेरिकी अधिकारियों पर नजर रखी जाती है.

अमेरिका ने इस साल फरवरी में राजनयिकों के एक दल को पाकिस्तान भेजा. इस दल ने इस्लामाबाद, कराची, पेशावर और लाहौर में जांच की और इसी आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. हालांकि रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को संवेदनशील होने के कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है.

Symbolbild USA Pakistan Beziehungen
तस्वीर: fotolia/DW-Montage

केवल व्यवहारिक रिश्ते

पहले ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद में अमेरिका द्वारा मार गिराए जाना और फिर नाटो ट्रकों की आवाजाही पर दोनों देशों के बीच अनबन, इस बारे में रिपोर्ट में कहा गया हैं, "इन घटनाओं के असर को द्विपक्षीय रिश्तों पर पूरी तरह महसूस किया गया है. अब ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में रिश्ते महत्वाकांक्षी नहीं, बल्कि व्यवहारिक होंगे."

रिपोर्ट में रिश्तों को सुलझाने के लिए 32 सुझाव भी दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को इस बात का डर रहता है कि वहां मौजूद अमेरिकी अधिकारी अमेरिका के लिए जासूसों का काम करते हैं और इस से अमेरिका पाकिस्तान सरकार की कार्रवाइयों में हस्तक्षेप कर पाता है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अधिकारी इस बात का ख्याल रखें कि वे सूचना का आदान प्रदान किस तरह से कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार नवम्बर से अब तक पाकिस्तान में मौजूद अधिकारियों की वॉशिंगटन के साथ करीब चालीस बार वीडियो कॉन्फरेंस हो चुकी है. इतना ही नहीं, इनमें से कई में तो राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी हिस्सा लिया. रिपोर्ट के अनुसार इस्लामद और वॉशिंगटन के बीच हो रही इन कॉन्फरेंस की संजीदगी पर ध्यान दिया जाना चाहिए और इन्हें सोच समझ कर करना चाहिए.

आईबी/ एएम (एएफपी)

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