अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के दोहरे मापदंड
अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण में वहां रहने वाले भारतीय लोगों को ले कर कुछ दिलचस्प बातें सामने आई हैं. सर्वेक्षण यह दिखा रहा है कि ये लोग भारत से गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं, लेकिन भारत के हालात पर उनके राय बंटी हुई है.
क्या भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है?
सिर्फ 36 प्रतिशत अमेरिकी भारतीयों को लगता है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. 39 प्रतिशत भारतीयों को ऐसा नहीं लगता है. इनमें हर पांच में से एक व्यक्ति का कोई मत नहीं था. यह सर्वेक्षण कार्नेजी एनडाओमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस, जॉन्स ऑपकिंस-एसआईएस और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय ने मिल कर किया. इसमें 1200 अमेरिकी भारतीयों ने भाग लिया.
भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती
सर्वे में रिसर्च और एनालिटिक्स कंपनी यूगव भी साझेदार थी. सर्वे को एक से 20 सितंबर 2020 के बीच कराया गया. सर्वे में यह भी पाया गया कि 18 प्रतिशत अमेरिकी भारतीय भ्रष्टाचार को भारत की सबसे बड़े चुनौती मानते हैं जिसके बारे में तुरंत कुछ किए जाने की जरूरत है.
धार्मिक बहुसंख्यकवाद की कम चिंता
इससे कम अमेरिकी भारतीय, यानी सिर्फ 15 प्रतिशत, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं. उस से भी कम, सिर्फ 10 प्रतिशत, लोगों ने कहा कि धार्मिक बहुसंख्यकवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती है. अमेरिकी भारतीय अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं.
मोदी के प्रशंसक
सर्वे में शामिल लोगों में से 49 प्रतिशत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन को सराहा. मोदी के समर्थकों में सबसे ज्यादा रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हैं, हिंदू हैं, इंजीनियर हैं, अमेरिका के बाहर पैदा हुए हैं और मूल रूप से उत्तर और पश्चिम भारत के रहने वाले हैं. 32 प्रतिशत लोगों ने कहा की वो मोदी को नापसंद करते हैं. बाकी 19 प्रतिशत ने कहा कि इस विषय में उनका कोई मत नहीं है.
40 प्रतिशत हैं राजनीति से दूर
40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका भारत में किसी भी राजनीतिक दल की तरफ झुकाव नहीं है. 32 प्रतिशत बीजेपी का समर्थन करते हैं और 12 प्रतिशत कांग्रेस का.
अमेरिका में उदार, भारत में नहीं
अधिकतर अमेरिकी भारतीय अमेरिकी मुद्दों पर उदारवादी विचार रखते लेकिन भारत के मुद्दों पर संकुचित विचार रखते हैं. धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों, आप्रवासियों के अधिकारों और आरक्षण जैसे विषयों पर इनके अमेरिकी नीतियों से ज्यादा भारतीय नीतियों के प्रति संकुचित विचार हैं.
छोड़ रहे हैं भारत की नागरिकता
इसके साथ ही भारत सरकार के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि 2015 से 2019 के बीच करीब 6.7 लाख भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़ दूसरे देशों की नागरिकता अपना ली. 2015 में करीब 1.45 लाख और 2016 में भी लगभग इतने ही लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी. 2017 और 2018 में यह संख्या घट कर 1.28 लाख और 1.25 लाख पर आई, लेकिन 2017 में यह फिर बढ़ कर 1.36 लाख पर पहुंच गई.