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अमेरिका के बयान से चिढ़ गया पाकिस्तान

१५ सितम्बर २०११

पाकिस्तान रोज रोज की अमेरिकी टोकाटाकी से तंग आ चुका है. उसका कहना है कि आतंकवादियों पर अमेरिका की चेतावनी का असर दोनों देशों के सहयोग पर पड़ सकता है.

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तस्वीर: AP

हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा ने कहा था कि पाक में अड्डा जमाए आतंकवादियों से अफगानिस्तान में तैनात अपने सैनिकों की रक्षा के लिए अमेरिकी किसी भी हद तक जा सकता है. इस बयान ने पाकिस्तान को चिढ़ा दिया है. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता तहमीना जानुजा ने जवाब में कहा है, "हमें लगता है कि इस तरह की टिप्पणियां दोनों देशों के सहयोग की लीक पर सही नहीं बैठतीं."

हमलों से परेशान अमेरिका

पनेटा और अमेरिका के अन्य अधिकारी मानते हैं कि मंगलवार को काबुल में अमेरिकी दूतावास पर हुए मिसाइल हमले के पीछे हक्कानी नेटवर्क का हाथ हो सकता है. बीते शनिवार को एक ट्रक पर भी बम हमला हुआ था जिसमें 77 अमेरिकी सैनिक घायल हो गए थे.

9/11 Gedenken
तस्वीर: dapd

इस बारे में पनेटा ने कहा, "हम बार बार पाकिस्तान से आग्रह कर चुके हैं कि उसे हक्कानी नेटवर्क पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है."

चेतावनी वाली लहजे में पनेटा ने कहा, "मेरे ख्याल से संदेश साफ है, हम अपने सैनिकों की रक्षा के लिए कुछ भी करेंगे."

इस बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा है कि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि सीमा पार गतिविधियां हो रही हैं.नाम न बताने की शर्त पर पाक सेना के एक वरिष्ठ अफसर कहते हैं, "हम आतंकवाद से लड़ने के लिए अपने सारे स्रोत इस्तेमाल कर रहे हैं. जहां तक हक्कानी नेटवर्क के पाक जमीन से अफगानिस्तान में हमले करने की बात है, तो इसके अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं."

Taliban Führer Jalaluddin Haqqani
तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच इस तरह की टिप्पणियां तनाव बढ़ा सकती है. मई महीने में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध काफी खराब हुए हैं. इसका पता जानुजा के बयानों से भी चलता है. वह कहती हैं, "पाकिस्तान और अमेरिका के बीच कूटनीतिक सहयोग है. हमें इन मुद्दों पर सहोयगी भावना से बात करनी होगी."

सुनने को तैयार नहीं पाक

अब तो पाकिस्तान और अमेरिका जिम्मेदारी ही एक दूसरे पर थोपने लगे हैं. पाक अधिकारी कहते हैं कि अफगानिस्तान में आतंकवादियों का सफाया तो अमेरिका के नेतृत्व में वहां लड़ रही फौजों का काम है. रक्षा नीति से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि उनका देश अमेरिका की अरबों डॉलर की मदद पर निर्भर करता है इसलिए वह हर संभव तरीके से अफगानिस्तान से आतंकियों को सीमापार करने से रोकने में लगा हुआ है. वह कहते हैं, "लेकिन आतंकवादी अगर अफगानिस्तान में कुछ कर रहे हैं, तब यह तो अफगान और वहां लड़ रही विदेशी ताकतों की जिम्मेदारी बन जाती है. अपनी तरफ से तो वे हर किसी को बच निकलने देते हैं और फिर कहते हैं कि पाकिस्तान कुछ नहीं कर रहा है."

अमेरिकी रक्षा मंत्री पनेटा जुलाई तक सीआईए के निदेशक थे. वह काफी लंबे समय से पाकिस्तान पर हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ काम करने के लिए दबाव बना रहे हैं. ऐसा संदेह जताया जाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हक्कानी नेटवर्क से ताल्लुकात हैं. इनकी शुरुआत 1980 में हुई जब जलालुद्दीन हक्कानी नाम का एक कमांडर सोवियत फौजों के खिलाफ लड़ रहा था. लेकिन पाकिस्तान इस आरोप से साफ इनकार करता है.

लेकिन हक्कानी नेटवर्क पनेटा को लगातार परेशान कर रहा है. उन्हें लगता है कि इस संगठन के आतंकी अमेरिकी सैनिकों को नुकसान पहुंचाकर पाकिस्तान में छिप जाते हैं. वह कहते हैं, "यह बर्दाश्त करने लायक बात नहीं है."

रिश्ते मुश्किल में

हाल ही में पाक और अमेरिका ने कई अहम साझे ऑपरेशनों को अंजाम दिया. इनमें अल कायदा के बड़े नेता यूनुस अल-मौरितानी को पकड़ा जाना भी शामिल है. उसे पाकिस्तान में इसी महीने की शुरुआत में पकड़ा गया. उसके बाद दोनों तरफ से आए बयानों से लगने लगा था कि ओसामा बिन लादेन की वजह से संबंधों में आई खटास कम हो रही है. लेकिन नए घटनाक्रम ने इस बात को गलत साबित कर दिया है. सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रिडेल कहते हैं, "दोनों देशों के रिश्ते तो अब भी बड़ी मुश्किल में हैं. हालांकि माहौल कुछ बेहतर हुआ है. इसलिए दोनों ने एक दूसरे को कोसना कम कर दिया है."

लेकिन ब्रूस के शब्दों में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि एक दूसरे पर जो भरोसा नहीं बन पा रहा है, उसका हल कैसे निकाला जाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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