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अब पाकिस्तानी जजों ने किया गृह मंत्री को तलब

२४ जनवरी २०१२

पाकिस्तान में मेमोगेट कांड की जांच कर रहे जजों ने एक प्रमुख गवाह के निजी रूप से उपस्थित होने से मना करने के बाद देश के गृह मंत्री रहमान मलिक को तलब किया. पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी मंसूर एजाज ने सुरक्षा का हवाला दिया था.

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तस्वीर: Abdul Sabooh

तीन जजों के पैनल को इस बात की जांच करनी है कि क्या राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की सहमति से सेना के अधिकारों में कटौती के लिए अमेरिका को मदद मांगने वाला मेमो दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बने पैनल की जांच शुरू होने के बाद इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कि राष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है.

इस मामले के स्टार गवाह पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी कारोबारी मंसूर एजाज हैं. उनकी गवाही को राष्ट्रपति के खिलाफ मामले में बहुत अहम माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने ही अपने एक लेख में इस बात का खुलासा किया कि इस तरह का एक मेमो अमेरिका को दिया गया है. मंसूर एजाज ने अपनी सुरक्षा का हवाला देकर व्यक्तिगत तौर पर गवाही देने से मना कर दिया है.

एटॉर्नी जनरल मौलवी अनवारुल हक ने पत्रकारों को बताया, "आयोग ने गृह मंत्री को अपने सामने उपस्थित होने और मंजूर एजाज की सुरक्षा के बारे अपने बयान के बारे में बताने का आदेश दिया है." आयोग का संदेश गृह मंत्री रहमान मलिक तक पहुंचा दिया गया है और उनके मंगलवार को ही आयोग में पेश होने की संभावना है.

Pakistan Asif Ali Zardari
तस्वीर: AP

मंसूर एजाज के वकील अकरम शेख ने इससे पहले आयोग से कहा था कि उनके मुवक्किल को डर है कि अगर वे पाकिस्तान आते हैं तो उन्हें देश छोड़ने नहीं दिया जाएगा.

पिछले साल 10 मई को एक मेमो अमेरिका के तत्कालीन सेनाध्यक्ष माइक मुलेन को दिया गया था. उसमें अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सेना की एक कार्रवाई में मारे जाने के बाद सेना के तख्ता पलट की संभावना को रोकने के लिए मदद मांगी गई थी.

अक्टूबर में फाइनेंशियल टाइम्स के लिए लिखे एक लेख में मंसूर एजाज ने स्वयं मुलेन को मेमो दिए जाने का भंडाफोड़ किया था और कहा था कि एक वरिष्ठ पाकिस्तानी राजनयिक ने उनसे मदद मांगी थी क्योंकि जरदारी अमेरिकियों को एक फौरी संदेश देना चाहते थे. बाद में अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी की वरिष्ठ राजनयिक के रूप में पहचान हुई थी.

मेमो में कहा गया था कि सरकार मदद के बदले सेना प्रमुख जनरल कियानी और आईएसआई प्रमुख शुजा पाशा को हटाने को तैयार है. इस घटना के सामने आने के बाद जरदारी, पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार और सेना के संबंध काफी बिगड़ गए. राजदूत हक्कानी को पाकिस्तान वापस बुला लिया गया और उन्हें सेना के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा.

सेना की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मांग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच बिठा दी है और जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पीपल्स पार्टी की सरकार के खिलाफ एक और मोर्चा भी खोल रखा है.

राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से शुरू न करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कर रहा है. गिलानी सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने पेश हो चुके हैं. दोषी साबित होने पर उनकी संसद की सदस्यता और प्रधानमंत्री की कुर्सी जा सकती है.

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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