अफ्रीका में लाल है विरोध का रंग
अफ्रीका में विपक्षी हलकों में पिछले दिनों खून और गुस्से का लाल रंग बड़े पैमाने पर नजर आ रहा है. कोट हो, टीशर्ट या लाल टोपी, राजनीतिज्ञ, एक्टीविस्ट और कार्यकर्ता उनका इस्तेमाल करते दिख रहे हैं.
लाल है नेता
जूलियस मलेमा और उनके साथियों ने 2013 में सत्ताधारी अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के युवा संगठन से निस्काषित किए जाने के बाद दक्षिण अफ्रीका में धुर वामपंथी इकोनॉमिक फ्रीडम फाइटर्स पार्टी का गठन किया था. मलेमा और उनकी पार्टी को इस बीच पूरे अफ्रीका में समर्थन मिल रहा है.
बदलाव का रंग
जिम्बाब्वे की मुख्य विरोधी पार्टी मूवमेंट फॉर डेमोक्रैटिक चेंज देश में आर्थिक मुश्किलों के दौर में पैदा हुई थी. ना तो आर्थिक संकट अभी पूरी तरह खत्म हुआ है और ना ही पार्टी की मुश्किलें. पार्टी के संस्थापक मॉर्गन स्वांगिराई को रॉबर्ट मुगाबे के शासन में दमन का शिकार बनाया गया था.
बस्ती के राष्ट्रपति
बॉबी वाइन यूगांडा के पीपल्स पॉवर मूवमेंट के नेता क्यागुलान्यी सेतामू रॉबर्ट का एक और नाम है. वे देश के लोकप्रिय संगीतकार हैं. यूगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने वाइन और उनके समर्थकों के लाल टोपी पहनने पर रोक लगा दी है. दलील ये दी गई कि ये सिर्फ सेना के लिए होना चाहिए.
हमारी लड़कियां वापस लाओ
2014 में कट्टरपंथी संगठन बोको हराम ने नाइजीरिया के चिबॉक से 274 स्कूली लड़कियों का अपहरण कर लिया था. उनमें से ज्यादातर अभी भी कट्टरपंथियों के कब्जे में है. उनकी रिहाई के लिए लड़ने वालों में आयशा युसूफ प्रमुख नाम है. उनकी रिहाई के लिए #BringBackOurGirls अभियान चला था.
धांधली का विरोध
मलावी में 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में मतपत्रों पर करेक्शन वाली स्याही के इस्तेमाल पर भारी हंगामा हुआ था. विपक्षी मलावी कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थक तब से देश के चुनाव आयोग के प्रमुख के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
अलग अलग आंदोलन
हाल के समय में अफ्रीका में बहुत से आंदोलन हुए हैं जिनका नेतृत्व छात्रों ने सड़कों पर उतर कर किया है. युवा लोगों ने मस्टफॉल नाम वाले ये आंदोलन हैशटैग #FeesMustFall या #RhodesMustFall नाम से इंटरनेट पर भी चलाए हैं. ये आंदोलन उपनिवेश काल के अवशेषों से जुड़े रहे हैं.
मजदूरों का प्रदर्शन
दक्षिण अफ्रीका ट्रेड यूनियन महासंघ साफ्तू की स्थापना 2017 में हुई. यह कोसातू के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन संगठन है. इसमें 21 ट्रेड यूनियन संगठन और 800,000 कामगार शामिल हैं. वे राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन और श्रम कानूनों में बदलाव के लिए लड़ रहे हैं.
भ्रष्टाचार विरोधी रंग
दक्षिण अफ्रीकी ट्रेड यूनियन कांग्रेस कोसातू की स्थापना 1985 में हुई थी. 21 ट्रेड यूनियनों के महासंघ का निशान लाल रंग है. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ा था और हड़ताल की थी.
पड़ोसियों का समर्थन
यहां वॉबी वाइन के समर्थक लाल कपड़ा पहन कर केन्या की राजधानी नैरोबी में सड़कों पर उतरे हैं. वे 2018 में वॉबी वाइन की सैनिक हिरासत से रिहाई की मांग कर रहे थे.
आम लोगों का रंग
अंगोला की सत्ताधारी लेबर पार्टी का नाम पीपुल्स मूवमेंट फॉर लिबरेशन और अंगोला एमपीएलए है. लाल पोशाक पहने उसके समर्थक लुआंडा में एक रैली में नारे लगा रहे हैं.