अपने जिहादियों से परेशान यूरोप
८ फ़रवरी २०१४कट्टरपंथी, उग्रवादी या अपने बुरे अनुभव के शिकार खूनी लड़ाके, यूरोप में इस तरह की बातें सुनना आम है, खास तौर से जब सीरिया में यूरोपीय जिहादियों की बात हो रही हो. सीरिया में लड़ाई जितनी लंबी चलेगी, यूरोप में लोगों की चिंता भी बढ़ेगी. उन्हें डर है कि यूरोप से और युवा कट्टरपंथियों का साथ देने वहां जाएंगे, उन्हें जिहादी कैंपों में और पट्टी पढ़ाई जाएगी और सीरिया में जंग के दौरान या उसके खत्म होने के साथ वापस यूरोप आएंगे.
माना जाता है कि सीरिया में विदेशी लड़ाकों में से 20 फीसदी पश्चिमी यूरोप के हैं. ज्यादातर 20 से 30 साल के बीच हैं और जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में रहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से कई युवाओं ने इस्लाम स्वीकार कर लिया है. यूरोप की आंतरिक मामलों की आयुक्त सिसीलिया माल्मस्ट्रम कहती हैं कि वापस आने वाली यह युवा "बहुत खतरनाक" होगी. यूरोपीय संघ के आतंकवाद निरोध अधिकारी ने हाल ही में कहा था कि यह युवा संख्या में कम हो सकते हैं लेकिन इनसे बहुत बड़ा खतरा हो सकता है.
आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप
हालांकि इस डर को पैदा करने और फैलाने में मीडिया की भूमिका भी कम नहीं. ब्रिटिश अखबार टेलीग्राफ ने लिखा है कि "अल कायदा सीरिया में सैकड़ों ब्रिटिश युवाओं को आंतकवादी हमलों की ट्रेनिंग दे रही है. वह ब्रिटेन वापस आकर देश पर हमला करेंगे. यूरोप और अमेरिका के युवाओं को कार बम बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है और उन्हें आतंकवाद सेल बनाने के बारे में भी सिखाया जा रहा है." यूरोपीय संघ देशों के गृह मंत्रियों ने अब तय किया है कि उनके देशों की खुफिया एजेंसियां इस मामले में और ज्यादा सहयोग करेंगी और युवा लड़ाकों को देश से निकलने से रोकने के साथ साथ सीरिया से वापस आने वाले युवाओं पर नजर रखेंगी.
साथ ही यूरोपीय संघ स्थानीय विशेषज्ञों और प्रोजेक्टों की मदद से उग्रवादियों और आतंकवादियों का सामना करना चाहता है. द हेग में 23 यूरोपीय शहरों की पुलिस, प्रशासन और युवा केंद्रों में काम कर रहे अधिकारियों की मुलाकात होती है. वह उग्रवादियों के साथ अपने अनुभवों के बारे में बताते हैं और एक दूसरे को सुझाव देते हैं.
ब्रिटेन से सीख
पश्चिम जर्मन शहर म्युंस्टर में पुलिस विश्वविद्यालय के प्रमुख आंद्रे कोन्से ने डीडब्ल्यू को बताया कि ब्रिटेन जागरूकता फैलाने में काफी आगे है. एक मुस्लिम अधिकारी को सीरिया भेजा गया ताकि वह हालात का पता लगा सके. ब्रिटेन आने के बाद इस अधिकारी ने युवाओं को बताया कि वहां क्या स्थिति है और अगर युवा आतंकवादी बनते हैं तो वह सीरिया की मदद करने की हालत में नहीं रहेंगे.
कोन्से कहते हैं कि युवाओं के लिए जिहाद का मतलब सकारात्मक है और यूरोपीय जिहादियों को अकसर यह पता नहीं होता कि सीरिया में हालत कितनी खराब है, वहां किस तरह के अत्याचार हुए हैं, धर्म के नाम पर.
परिवारों पर ध्यान
विशेषज्ञों का मानना है कि परिवारों का ढांचा भी इस परेशानी का हिस्सा है. यूरोपीय संघ के अधिकारी इस सिलसिले में परिवारों की और मदद करना चाहते हैं. इस वक्त ऐसा नहीं हो रहा है. पुलिस विश्वविद्यालय के कोन्से कहते हैं कि समुदायों को परिवारों से मिलना जुलना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि कौन विदेश में है और कौन वापस आया है. जर्मनी में यह काम युवा दफ्तर कर सकता है.
मनोवैज्ञानिक कासिम एर्दवान कहते हैं कि जो युवा आतंकवादी बनते हैं वह अकसर उन परिवारों के होते हैं जहां महिलाओं पर दबाव बहुत होता है. एर्दवान तुर्क पुरुषों की मदद के लिए भी एक संस्थान चलाते हैं. उनका संस्थान पुरुषों को सुझाव भी देता है और उनसे और जिम्मेदारी संभालने को कहता है. उनका कहना है कि इस्लामी संस्कृति को ध्यान में रखकर ही मुस्लिम परिवारों से बात की जा सकती है. एर्दवान कहते हैं कि युवाओं के माता पिता से भी बात करने और उनकी मदद करने की जरूरत है ताकि वह अपने बच्चं पर ध्यान दें और उनके भविष्य का ख्याल रखें.
रिपोर्टः राल्फ बोजेन/एमजी
संपादनः ए जमाल