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अपने अंदर क्रिकेट तलाशता पाकिस्तान

३० मार्च २०१२

एक साथ स्कूल में पढ़ने वाले तीन बच्चे एक दिन ऊंची चारदीवारी फांद कर निकल गए. करीब दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद मंजिल मिली. 14 साल के तीनों बच्चों का ख्वाब है रावलपिंडी स्टेडियम में क्रिकेट का मैच देखना.

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तस्वीर: DW

अजीजुल्लाह खान, जुबैर खान और नोमान खालिद का यह सपना पूरा होने जा रहा है. वे तो सईद अजमल की घूमती गेंदों और विकेट की पीछे उमर अकमल को देखने कहीं भी जा सकते हैं. उन्होंने इन खिलाड़ियों को तो टेलीविजन पर बहुत बार देखा है लेकिन स्टेडियम में खेलते हुए नहीं देखा है. तीन साल पहले श्रीलंका की टीम पर जो हमला हुआ, उसके बाद से कोई भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम खेलने पाकिस्तान नहीं आ रही है.

अजीजुल्लाह ने जेब खर्च से बचाए 300 रुपयों में टिकट खरीद लिया, "मैंने कभी भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं देखे हैं. हर कोई यहां यही सोच रहा है कि विदेशी टीमें कब पाकिस्तान लौटेंगी."

अजीजुल्लाह ने वाजिब सवाल किया है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को उम्मीद है कि अगले महीने से ही ऐसा होने लगेगा. बांग्लादेश ने इस बात की हामी भर दी है कि वे पाकिस्तान का दौरा करेंगे. श्रीलंका की टीम पर हमले के बाद पहली बार कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान आएगी. हाल ही में बांग्लादेश ने एशिया कप के फाइनल में जगह बना कर सुर्खियां बटोरी थीं. सुरक्षा के मुद्दे पर वह संतुष्ट है लेकिन औपचारिक तौर पर हां नहीं कहा है.

सुरक्षा पर जोर

इस बीच, पाकिस्तान के अंदर क्रिकेट को सुरक्षित और अपने लोगों में लोकप्रिय बनाने का काम चल रहा है. रावलपिंडी में सुपर 8 क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहा है, जिसमें पाकिस्तान के ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर खेल रहे हैं. सभी आठ टीमों के लिए सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है. दो गाड़ियों में हथियारबंद सुरक्षा बल टीमों के साथ होटल से ग्राउंड और ग्राउंड से होटल जाते हैं. सब कुछ अच्छे से हो गया सिर्फ मेजबान टीम रावलपिंडी ग्रुप स्टेज में ही हार कर बाहर हो गई.

शहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मलिक मतलूब कहते हैं, "सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पिछले तीन साल से संतुष्टि नहीं थी. चाहे घरेलू क्रिकेट हो या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट. हम इसे एक बड़ी चुनौती मान रहे हैं. इसलिए हम इसे एक अंतरराष्ट्रीय मैच की तरह सुरक्षा दे रहे हैं."

कोच की नजर

पाकिस्तान के कोच डेव व्हाटमोर और फील्डिंग कोच जूलियन फाउंटेन वीआईपी बॉक्स से सभी मैचों पर नजर रख रहे हैं. पीसीबी के निदेशक जाकिर खान का कहना है, "मुझे लगता है कि हमें अपने क्रिकेट अस्तित्व के लिए ऐसे मुकाबले करते रहना होगा. हमारे समुदाय को यह जानना जरूरी है कि हमारे यहां क्रिकेट सुरक्षित है और हम घर के अंदर अच्छे क्रिकेटर तैयार कर रहे हैं."

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डेव व्हॉटमोर, पाकिस्तान टीम के कोचतस्वीर: DW

पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके दानिश कनेरिया का मानना है कि बांग्लादेश का दौरा जरूर होगा और इसके बाद दूसरी टीमें भी आएंगी. कराची की एक टीम से खेल रहे कनेरिया का कहना है, "एक बार बांग्लादेश जैसी छोटी टीम पाकिस्तान आए, उसके बाद यह नियम बन जाएगा. दूसरी टीमें भी यहां आने लगेंगी. जिस तरह से हमारी सुरक्षा की जा रही है, उससे मैं बहुत खुश हूं. ऐसा लग रहा है कि हम अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे हैं."

तगड़े इंतजाम

पीसीबी ने डीजीएम एजेंसी के साथ मिल कर सुरक्षा का जिम्मा उठाया है, जो 10 साल से क्रिकेटरों को सुरक्षा दे रही है. कंपनी के सीईओ सैयद नदीम मंसूर का कहना है, "2001 के बाद से स्थिति बदल गई है. पहले हमने हर प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगाया और अब हर किसी के सामान का एक्सरे किया जाता है." भीड़ पर नजर रखने के लिए क्लोज सर्किट कैमरा भी लगाया गया है. मंसूर का कहना है कि कोई भी यहां आकर सुरक्षा व्यवस्था देख सकता है. अगर कोई कसर निकाल देगा, तो हमें हैरानी होगी.

उनका मानना है कि घरेलू सीरीज में सुरक्षा के बंदोबस्त से बांग्लादेश को संतुष्ट होना चाहिए.

रिपोर्टः एपी/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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