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अनुभवों से बना है मेरा कथानकः पामुक

१५ सितम्बर २००८

जर्मनी में अनुदित साहित्य की काफ़ी कद्र है, सलमान रुश्दी या अरुंधती राय की पुस्तकों की लाखों प्रतियां जर्मन अनुवाद में बिक चुकी हैं.

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ओरहान पामुक - मैं ब्रिज होने का दावा नहीं करतातस्वीर: picture-alliance/ dpa

लोकप्रिय लेखकों में से एक हैं नोबेल पुरस्कार विजेता तुर्क लेखक ओरहान पामुक, जर्मनी में जिनकी लोकप्रियता शायद तुर्की से भी अधिक है. इन दिनों उनकी नई किताब आई है - निष्पाप संग्रहालय. उपन्यास के नायक केमाल को फ़्युसुन से प्यार है, लेकिन जैसा कि होता है - लड़की अमीर है लड़का ग़रीब. केमाल को हिम्मत नहीं होती है कि वह अपने प्यार का इज़हार करे. आख़िरकार फ़्युसुन की शादी किसी दूसरे से हो जाती है. और केमाल? वह उन सारी चीज़ों को जुटाना शुरू करता है, जिनके साथ फ़्युसुन की यादें जुड़ी हुई हैं.

"उसका दिल जीतने में अपनी नाकामी के मुआवज़े के तौर पर वह उन सारी चीज़ों को जुटाना शुरु कर देता है, जिन्हें फ़्युसुन ने छूआ था - जो कुछ भी उसे मिलता है. इस तरह आख़िरकार एक संग्रहालय बन जाता है, जिसमें से उन दोनों की कहानी झांकती है." -ओरहान पामुक

एक नमकदान, चाय का प्याला, या पोर्सेलीन की एक छोटी सी मूर्ति - कितनी ख़ुशियां छिपी हुई हैं इन छोटी-छोटी चीज़ों में. केमाल इन्हें इकट्ठा करता रहता है, वह इनमें छिपी यादों में जीने की कोशिश करता है. मज़े की बात यह भी है कि लेखक ओरहान पामुक की भी कुछ ऐसी ही आदत है. वे ऐसी चीज़ें इकट्ठा करते हैं, जिनके साथ भूली-बिसरी यादें जुड़ी हुई हैं.

Türkei Istanbul Panorama
साहित्य से झांकता तुर्क रोज़मर्रातस्वीर: picture-alliance/ dpa

"मैंने एक मकान ख़रीदा है और उसे संग्रहालय बना दिया है. ये दोनों निष्पाप संग्रहालय हैं - मेरा संग्रहालय और यह उपन्यास. वैसे साहित्य का आनंद और मेरे संग्रहालय को देखने का आनंद - ये दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं. मेरा संग्रहालय मेरे उपन्यास की तस्वीर नहीं है, और मेरा उपन्यास मेरे संग्रहालय का कैटालॉग नहीं है. शायद वे एक ही कहानी के दो अलग-अलग पहलू हैं." -ओरहान पामुक

इनमें से उभरकर आता है तुर्क समाज का रोज़मर्रा. ओरहान पामुक कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के अनेक अनुभवों में से इस उपन्यास के पात्रों, घटनाओं और भावनाओं को चुना है. हाल के एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि इस उपन्यास में से उनके राष्ट्र की आत्मा झांकती है. एक ऐसे समय में, जब तुर्की यूरोप का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है. एक कोशिश, जिसे बाज़ तबकों में शक के साथ देखा जा रहा है - कहा जा रहा है कि पूरब और पश्चिम के बीच एक गहरी खाई है. ओरहान पामुक को अक्सर इस खाई को पाटने वाले एक ब्रिज के रूप में देखने की कोशिश की गई है. लेकिन वे इससे सहमत नहीं हैं.

"यह बकवास है. मुझे सिर्फ़ इसलिए ब्रिज कहा जा रहा है, क्योंकि मैं तुर्क हूं. और हर कोई देखता है कि तुर्क पूरब और पश्चिम के बीच है. एक ब्रिज बनने के लिए संस्कृति की बारीकियां समझनी पड़ती है, उसके सायों को समझना पड़ता है, उसके अंधेरे पक्षों को जानना पड़ता है, उसकी उम्मीदों, संभावनाओं, कमज़ोरियों को पहचानना पड़ता है. इससे पहले कि मैं दावा करूं कि मैं एक ब्रिज बन गया हूं, मुझे इन्हें देखना पड़ेगा. यह मेरा फ़र्ज़ हैं." -ओरहान पामुक