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ब्रेक्जिट: आर्थिक प्रभाव

रॉल्फ वेंकेल/एमजे२१ जून २०१६

इस हफ्ते ब्रिटेन फैसला कर रहा है कि वह यूरोपीय संघ में रहेगा या नहीं. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नतीजे गंभीर होंगे. कौन इसके पक्ष में कौन विपक्ष में?

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तस्वीर: Getty Images/M. Cardy

जर्मन अर्थशास्त्री

अधिकांश जर्मन अर्थशास्त्री ब्रेक्जिट के खिलाफ हैं. यह बात म्यूनिख के इफो इंस्टीट्यूट ने मई में बताई. 85 प्रतिशत जर्मन अर्थशास्त्री नहीं चाहते कि ब्रिटेन ईयू से बाहर निकले. सिर्फ 10 प्रतिशत इसके पक्ष में हैं. इफो पब्लिक फाइनेंस सेंटर के निकलास पोट्राफ्के कहते हैं, "यह सर्वे वर्ल्ड इकोनॉमिक सर्वे के विशेषज्ञों के आकलन के अत्यंत करीब है. अप्रैल में हमने 113 देशों के 700 विशेषज्ञों से ब्रेक्जिट के बारे में पूछा था. 86.6 प्रतिशत ब्रेक्जिट के खिलाफ थे."

54 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्रेक्जिट ब्रिटेन के लिए भारी आर्थिक नुकसान लाएगा. इसके विपरीत 32 प्रतिशत मानते हैं कि ब्रिटेन को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. 65 प्रतिशत का मानना है कि जर्मन अर्थव्यवस्था को हल्का फुल्का नुकसान होगा जबकि 12 प्रतिशत का मानना है कि जर्मनी को भी भारी नुकसान होगा. एक अर्थशास्त्री का कहना है कि ब्रेक्जिट से दूरगामी रूप से पूरे यूरोपीय संघ को भारी फायदा होगा, क्योंकि ब्रिटेन यूरोपीय एकीकरण का बाधक है.

यूरोपीय केंद्रीय बैंक

यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने औपचारिक रूप से न तो ब्रेक्जिट का समर्थन किया है और न ही उसका विरोध किया है. लेकिन बैंक की परिषद के कुछ सदस्य निश्चिंत हैं. ऑस्ट्रिया के सेंट्रल बैंक प्रमुख एवाल्ड नोवोत्नी के अनुसार ब्रिटेन के बाहर निकलने से यूरो जोन पर अपेक्षाकृत कम असर होगा. उनका कहना है, "ब्रिटेन के लिए असर बाकी यूरोप से ज्यादा बुरा होगा." उनका मानना है कि लंदन वित्तीय केंद्र होने का अपना दर्जा खो देगा. इसके अलावा बहुत सारी सुविधाएं जो इस समय स्वाभाविक मानी जाती हैं, उन पर ब्रिटेन को ईयू के साथ फिर से समझौता करना होगा.

इसके विपरीत फ्रांस के सेंट्रल बैंक के गवर्नर फ्रांसोआ विलेरॉय दे गाल्हाउ ब्रेक्जिट से ईयू के लिए समस्याएं देखते हैं. उनका कहना है कि ब्रेक्जिट की स्थिति में ब्रिटिश बैंक उथल पुथल में फंस सकते हैं. इसके अलावा मौद्रिक संघ पर भी इसका असर होगा.

ब्रिटिश वित्त मंत्रालय

ब्रिटेन की सरकार तो इसे प्रलय जैसा बता रही है. वाणिज्य मंत्री साजिद जावेद का कहना है, "ईयू से बाहर निकलने का फैसला आर्थिक भूचाल ला देगा." उन्होंने अपने मंत्रालय की एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ब्रेक्जिट के कारण कम से कम 500,000 नौकरियां खत्म हो जाएंगी और और अगले दो साल में आर्थिक विकास में 3.6 प्रतिशत की कमी होगी.

ईयू में बने रहने के मुकाबले विकास दर में 3.6 प्रतिशत की कमी हालांकि 1990 के दशक में आई मंदी के दौरान हुई कमी जैसी ही है, लेकिन साजिद जावेद का कहना है कि यह 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के समय आई गिरावट से बेहतर है. ईयू छोड़ने के समर्थक इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि वित्त मंत्रालय के अनुमान हमेशा से गलत साबित होते रहे हैं.

ब्रिटिश ट्रेड यूनियन

ब्रिटेन के ट्रेड यूनियनों का भी मानना है कि ईयू से बाहर निकलने पर निवेश में कमी से बहुत से रोजगार समाप्त हो जाएंगे. उन्हें सिर्फ 500,000 नहीं बल्कि 40 लाख रोजगार खोने का डर है. ब्रिटेन का ट्रेड यूनियन कांग्रेस लगातार ब्रेक्जिट के बुरे नतीजों की चेतावनी दे रहा है. ब्रिटिश टीयूसी के ओवन ट्यूडर कहते हैं, "40 लाख नौकरियां खतरे में हैं." उनके अनुसार खतरे में पड़ी नौकरियां खासकर ऑटो और रसायन उद्योग जैसे निर्यात वाले क्षेत्रों में है.

ट्यूडर कहते हैं, "बहुत संभव है कि ईयू छोड़ने की स्थिति में ब्रिटिश उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ जाएगी." उनका यह भी मानना है कि यूरोपीय बाजार खोने से ब्रिटेन को आर्थिक केंद्र के रूप में भी धक्का लगेगा और उसका आकर्षण समाप्त हो जाएगा. नतीजा और रोजगारों के नुकसान के रूप में सामने आ सकता है. इसके अलावा ट्रेड यूनियनों को श्रमिकों के अधिकारों में कटौती की भी आशंका है.

जर्मन अर्थव्यवस्था

जर्मन उद्यमी भी ब्रेक्जिट के अहसास से अच्छा नहीं महसूस कर रहे हैं. डीजेड बैंक के एक सर्वे के अनुसार सबसे बुरी स्थिति में जर्मन अर्थव्यवस्था को 2017 तक 45 अरब यूरो का नुकसान होगा और वह मंदी में जा सकता है. फायदा वित्तीय सलाहकार, कंसल्टेंट और वकील जैसे पेशे के लोगों को होगा. उन्हें उद्यमों को नई परिस्थितियों के लिए तैयार करना होगा.

जर्मन उद्योग महासंघ बीडीआई के मुख्य प्रबंधक मार्कुस कैर्बर कहते हैं, "ब्रेक्जिट का दोनों पक्षों को भारी नुकसान होगा." विभिन्न प्रकार के समझौतों पर फिर से सालों की सौदेबाजी की जरूरत होगी. इनमें बाजार में प्रवेश, नियामक मानक और बहुत से अन्य मुद्दे शामिल हैं. इस बातचीत में सभी फायदा उठाने की कोशिश करेंगे. कैर्बर को डर है कि बहुत ही जटिल स्थिति पैदा हो सकती है.