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ईयू शिखर में ब्रेक्जिट पर बहस

१८ फ़रवरी २०१६

ग्रेक्जिट की बात पुरानी हुई, ईयू शिखर सम्मेलन में अब बहस ब्रेक्जिट पर है. यूरोपीय नेता संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने को रोकने का रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी ओर शरणार्थी संकट ने ईयू को विभाजित कर दिया है.

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David Cameron Donald Tusk
कैमरन और टुस्कतस्वीर: picture-alliance/dpa/J.Warnand

यूरोपीय संघ के नेताओं की शिखर भेंट का एक कार्यक्रम रद्द हो गया है. असली शिखर भेंट से पहले शरणार्थी संकट पर एक मिनी शिखर भेंट होनी थी लेकिन उसे अंकारा में बम हमले के बाद रद्द कर दिया गया. हमले में 28 लोगों की मौत के बाद तुर्की के प्रधानमंत्री अहमत दावुतोग्लू ने अपना ब्रसेल्स दौरा रद्द कर दिया था. ऑस्ट्रिया के निमंत्रण पर यूरोपीय संघ के 11 देश तुर्की के साथ सीरिया से आने वाले शरणार्थियों की समस्या से निबटने के ठोस कदमों पर बातचीत करना चाहते थे.

ब्रेक्जिट की तलवार

लेकिन यूरोपीय संघ में सुधार की ब्रिटेन की मांग पर बहस जरूर होगी. ऐतिहासिक प्रयासों के तहत यूरोपीय संघ के राज्य व सरकार प्रमुख ब्रिटेन के संघ से बाहर जाने के खतरे से बचना चाहते हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ईयू में रहने या न रहने के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने का वादा किया है और उम्मीद है कि मनचाहे सुधारों की स्थिति में वे ब्रिटेन के ईयू में बने रहने का समर्थन करेंगे. शिखर भेंट से जुड़े राजनयिकों ने उम्मीद जताई है कि गुरुवार और शुक्रवार को हो रहे शिखर सम्मेलन में लंदन को दी जाने वाली रियायतों पर फैसला हो जाएगा.

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष पोलैंड के डोनाल्ड टुस्क ने शिखर भेंट के मौके को संघ की एकता के लिए निर्णायक क्षण बताया है लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि डील होने की कोई गारंटी नहीं है. उन्होंने इस महीने के शुरू में ब्रिटेन को एक समझौता प्रस्ताव दिया था. राजनयिकों का कहना है कि आधारशिला रखी जा चुकी है, और सहमति होने की उम्मीद है. डेविड कैमरन ब्रेक्जिट मामले में दबाव में हैं और ईयू पर दबाव डाल भी रहे हैं. एक ब्रिटिश राजनयिक ने कहा है कि यदि कोई डील नहीं होता है तो जून में जनमत संग्रह नहीं कराया जाएगा. उन्होंने कहा, "सदस्य देशों के बीच कुछ हफ्ते में फिर से इसी मुद्दे पर बात करने का कोई रुझान दिखाई नहीं देता." वे ब्रिटेन की ईयू सदस्यता पर डील हो जाने पर इसी साल मतदान कराना चाहते हैं. 23 जून की तारीख चर्चा में है.

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भूमध्यसागर में शरणार्थीतस्वीर: Getty Images/AFP/A. Tzortzinis

शरणार्थी संकट की चुनौती

ब्रेक्जिट बहस के अलावा शिखर सम्मेलन में शरणार्थी मुद्दे पर भी चर्चा होगी. यूरोपीय संघ में इस मुद्दे पर जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के दोस्तों की तादाद कम होती जा रही है. शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले जर्मन संसद में चांसलर ने शरणार्थी संकट को यूरोपीय संघ के लिए ऐतिहासिक चुनौती बताया. फिलहाल यह जर्मनी की भी चुनौती है. पिछले साल मैर्केल ने हंगरी में फंसे शरणार्थियों के लिए सीमा खोलकर मानवीय चेहरा दिखाया था, लेकिन इस बीच 11 लाख शरणार्थियों के आने के बाद घरेलू विरोध इतना बढ़ गया है कि बहस इस बात पर हो रही है कि जर्मनी इतने शरणार्थियों को समाज में घुला मिला पाएगा या नहीं.

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संसद में बोलती मैर्केलतस्वीर: Getty Images/AFP/A. Berry

चांसलर की उम्मीदें यूरोपीय समाधान पर थीं कि यूरोपीय देश शरणार्थियों को आपस में बांट लेंगे, लेकिन कई पूर्वी यूरोपीय देश अपने यहां मुस्लिम शरणार्थियों को लेने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. इस बीच शरणार्थियों की आड़ में कट्टरपंथी संगठनों द्वारा अपने लोग भेजेने की आशंका से दूसरे देश भी बड़ी संख्या में शरणार्थियों को लेने के लिए तैयार नहीं दिखते. लेकिन चांसलर ने गृहयुद्ध से भाग रहे शरणार्थियों के लिए जर्मन सीमा बंद नहीं करने के फैसले का बचाव किया है और कहा है कि किलेबंदी यूरोपीय जवाब नहीं हो सकता. लेकिन कई देश यही कर रहे हैं. ऑस्ट्रिया ने शुक्रवार से हर दिन दक्षिणी सीमा से सिर्फ 80 शरणार्थियों को देश में घुसने देने का फैसला किया है.

एमजे/आईबी (डीपीए)