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मैर्केल की भारत यात्रा का "स्मार्ट" एजेंडा

महेश झा/आरआर४ अक्टूबर २०१५

तीन दिनों की भारत यात्रा पर जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के बीच चर्चा के केंद्र में जलवायु परिवर्तन, शरणार्थी संकट से लेकर द्विपक्षीय व्यापारिक और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ाने तक कई मुद्दे होंगे.

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तस्वीर: Reuters/A. Schmidt

4 से 6 अक्टूबर के बीच जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ जर्मन कैबिनेट के कई महत्वपूर्ण मंत्री और उद्योगपतियों का एक बड़ा दल भी भारत की यात्रा पर होगा. भारत और जर्मनी के बीच सालाना करीब 16 अरब यूरो का साझा कारोबार होता है. दोनों पक्षों का मानना है कि इसे बढ़ाने की बहुत सी संभावनाएं है.

Deutschland Narendra Modi und Angela Merkel auf der Hannover Messe
तस्वीर: Reuters/W. Rattay

प्रधानमंत्री मोदी अपने "मेक इन इंडिया" के नारे के साथ भारत में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देकर नई नौकरियां पैदा करना चाहते हैं. इसके अलावा देश में कुछ स्मार्ट शहर बनाने की भी योजना है.

दूसरी ओर चांसलर मैर्केल का एक डिजिटल एजेंडा है जिसे इंडस्ट्री 4.0 कहते हैं. जर्मन व्यापार जगत इस बात का सही सही अनुमान लगाना चाहता है कि आखिर स्मार्ट शहरों के निर्माण में उनकी कितनी बड़ी भूमिका होगी.

इस एजेंडे को देखते हुए दोनों देश एक दूसरे के पूरक लगते हैं. जर्मनी को आईटी कौशल चाहिए और भारत को तकनीक. इसी कारण अपनी यात्रा में मैर्केल मैनुफैक्चरिंग और शोध एवं विकास पर जोर देंगी. हाल ही में अमेरिका की सिलिकॉन वैली में अपनी यात्रा से सुर्खियां बटोरने वाले मोदी खुद भी मैर्केल का भारत की सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले शहर बंगलुरु में स्वागत करेंगे.

7 प्रतिशत विकास दर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़े विदेशी निवेश की जरूरत है. विकसित देश जर्मनी को अपने विकास को पटरी पर रखने के लिए कुशल कामगरों के साथ साथ भारत जैसे विशाल बाजार की जरूरत है. अप्रैल में जर्मनी का दौरा करने वाले मोदी से मैर्केल ने मुलाकात में दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी माने जाने वाले मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा की थी.

भारत और यूरोपीय संघ जून 2007 से ही बाजारों को खोलने वाले इस इंतजाम पर सहमति बनाने की कोशिशें कर रहा है लेकिन आईपी अधिकारों, पर्यावरण और कुछ सामाजिक समस्याओं के चलते समझौता अटका पड़ा है.

कौशल विकास के लिए जर्मन सहयोग से भारत में स्किल डिवेलपमेंट सेंटर खोलने की योजना है. इसके अलावा स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व भर में अगुआ देश जर्मनी के साथ कुछ प्रोजेक्ट शुरु करने और गंगा की सफाई में भी तकनीकी मदद लेने पर चर्चा होगी.

जर्मनी को भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, रसायन और फार्मा इंडस्ट्री में निवेश बढ़ाने की चाह है. देश में व्यापार के माहौल को सुविधाजनक बनाने के लिए मोदी सरकार ने कई सुधारों की घोषणा की है. यह सुधार दोनों देशों के बीच आने वाले कई सालों के लिए विकास की धुरी तैयार करने का काम करेंगे.