जर्मनी का सबसे छोटा राज्य ब्रेमेन
हैम्बर्ग, बर्लिन और ब्रेमेन, ये जर्मनी के ऐसे शहर हैं, जिन्हें राज्य का दर्जा भी हासिल है. एक नजर बंदरगाहों वाले राज्य ब्रेमेन पर.
शहर की पहचान
जर्मनी के ग्रिम भाइयों की लिखी परीकथाएं दुनिया भर में पढ़ी जाती हैं. इन्हीं में से एक है संगीतकारों की कहानी. यह चार ऐसे जानवरों की कहानी है जो दुत्कार दिए जाते हैं और मायूसी में शहर छोड़ कर चल देते हैं. 1953 में इसी कहानी पर आधारित कांसे के ये चार जानवर शहर के बीचोबीच लगाए गए जो अब ब्रेमेन की पहचान हैं. माना जाता है कि इस गधे के पैर छूने से किस्मत चमक जाती है.
शहर का रखवाला
रोलांड का पुतला 1404 से बाजार के बीच खड़ा है. रोलांड रोमन साम्राज्य के राजा शार्लेमान्ये का एक शूरवीर था. माना जाता है कि जब तक रोलांड शहर की पहरेदारी करता रहेगा, तब तक ब्रेमेन आजाद रहेगा. यह पुतला यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है.
जीत का फार्मूला
यह है मार्केट स्क्वायर में श्यूटिंग गिल्ड हाउस का दरवाजा. 600 सालों तक यह व्यापारियों का मुख्य द्वार रहा है. 1899 में इस दरवाजे पर एक संदेश लिखा गया, "आउटसाइड एंड इन, रिस्क इट एंड विन". इसका मकसद था ब्रेमेन के व्यापारियों को अपनी पूंजी बाजार में आ कर निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना.
नदी के रास्ते
वेजर नदी ब्रेमेन को समुद्र से जोड़ती है. साठ किलोमीटर के सफर पर आता है ब्रेमेन का बंदरगाह. इसी रास्ते से व्यापारी उत्तरी यूरोप से कपड़े और कच्चा माल लाते और बेचने ले जाया करते थे. मध्य युग में व्यापारी संघ हंसिएटिक लीग में ब्रेमेन समेत 70 बड़े और सौ छोटे शहर शामिल थे.
किस्सा चाबी का
17वीं शताब्दी में वेजर नदी के आसपास की इमारतों को रेनेसां के अंदाज में सजाया गया. उस वक्त यहां ब्रेमेन की चाबी को भी शामिल किया गया. हैम्बर्ग के लोग जब कहते कि व्यापार की दुनिया का द्वार उनका शहर है, तो ब्रेमेन वालों का जवाब होता कि चाबी तो आखिर ब्रेमेन वालों के ही पास है.
टाउन हॉल
हर साल ब्रेमेन के टाउन हॉल में सौ जहाजों के कैप्टेन, सौ व्यापारी और सौ मेहमान शाफरमालसाइट नाम के भोज के लिए जमा होते हैं. 1545 से यह परंपरा चली आ रही है. 13 फरवरी 2015 को होने वाले भोज के लिए पहली बार महिलाओं को भी आमंत्रित किया गया है. एक नई शुरुआत.
सुरक्षा के लिए
डेढ़ सौ साल पहले ब्रेमेन में एक टीचर ने जहाज का मलबा देखा. इसे देख कर वह इतना दुखी हुआ कि चंदा जमा कर एक रक्षा दल तैयार किया. डीजीजेडआरएस नाम के इस दल के पास आज साठ लाइफबोट हैं. मौसम कैसा भी हो, रक्षा दल चौबीसो घंटे तैयार रहता है.
बंदरगाह
ब्रेमेन के बंदरगाह से हर साल पांच करोड़ टन कार्गो की आवाजाही होती है. यह यूरोप के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है. हाल ही में यहां कोलंबस क्रूज सेंटर बनाया गया है, जहां से लोग जहाज का सफर शुरू कर सकते हैं. किसी सेल बोट जैसा दिखने वाला यह है "अटलांटिक होटल सेल सिटी".
नए रास्ते पर
19वीं और 20वीं शताब्दी में यहां से कुल सत्तर लाख लोग नए नए रास्तों पर निकले और अलग अलग देशों में जा कर बस गए. खास कर अमेरिका के लोगों के लिए अपने पूर्वजों के बारे में जानने के लिए यह एक अहम जगह है.
मौसम वाला घर
किसी जहाज जैसी दिखने वाली इस इमारत को बनाने में शीशे के चार हजार टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया है. इस इमारत का नाम क्लीमाहाउज यानि मौसम वाला घर है. यहां मौसम में हो रहे बदलावों को करीब से देखा जा सकता है.