इज्जत के नाम पर 700 औरतों की हत्या
२१ जुलाई २०१२इज्जत के नाम पर हत्याएं आमतौर पर समाज का पुरुष वर्ग अपने ही परिवार की स्त्रियों की जान लेकर कर करता है. इन मामलों में ज्यादातर अवैध रिश्ते या फिर अपनी मर्जी से की गई शादी वजह होती है. ऑनर किलिंग में ज्यादातर परिवार के सदस्य खुद ही आरोपियों में शामिल होते हैं.
पाकिस्तान की मीडिया ने महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था औरत फाउंडेशन की रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी दी है. फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 में उसके पिछले साल के मुकाबले ऑनर किलिंग के पीड़ितों की संख्या 6.75 फीसदी बढ़ गई है. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि करीब 89 फीसदी मामलों में अदालतों ने आरोपियों को बिन सजा दिए छोड़ दिया. ज्यादातर मामलों में आरोपी पीड़ित परिवार का ही सदस्य होता है ऐसे में उन्हें सजा दिला पाना एक मुश्किल काम है. आमतौर पर परिवार के दूसरे सदस्य भी पीड़ित की बजाए आरोपी का ही साथ देते हैं.
कई बार तो पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई जाती. औरत फाउंडेशन से जुड़ी राबिया हादी बताती हैं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 40 फीसदी मामले की तो जानकारी ही नहीं मिल पाती. घर वाले या तो पुलिस को बताते नहीं, अगर बताएं भी तो पुलिस से पहचान छिपाने की गुजारिश की जाती है. इसके लिए लोग पुलिस को पैसा देने पर भी बड़ी आसानी से तैयार हो जाते हैं.
पाकिस्तान की संसद ने पिछले दिनों महिलाओं को हिंसा से बचाने के लिए नए कानून पारित किए हैं. सरकार ने इस तरह के मामले में दोषी पाए जाने वाले लोगों के लिए सजा बढ़ा दी है. हालांकि कानून को ढंग से लागू न किए जाने के कारण जमीनी स्तर पर हालत में सुधार के कोई आसार नजर नहीं आ रहे. पाकिस्तान और खास कर दक्षिण एशिया में इस तरह के मामलों की भरमार है. भारत में भी हर साल कई लड़कियों को प्रेम करने की सजा अपनी जान देकर भुगतनी पड़ती है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ दक्षिण एशिया में ही इज्जत के नाम पर औरतों का जीवन कुर्बान किया जाता हो. यूरोप, मध्यपूर्व के देश और यहां तक कि अमेरिका में भी इज्जत के नाम पर औरतों की बलि ली जाती है. जानकारों का मानना है कि अमेरिका जैसे देशों में इस तरह के घटनाओं का ब्यौरा उतनी संजीदगी से दर्ज नहीं किया जाता. यह कोशिश है इस तरह के संवेदनशील मामलों से अपनी छवि बचाए रखने की.
2006 में कनाडा के कातिरा सिद्दिकी के भाई को अपनी बहन और प्रेमिका की हत्या करने के आरोप का दोषी ठहराया गया. मुकदमे के दौरान उसने कहा कि वह चाहता था कि उसकी बहन उसके पिता का सम्मान करे. इसी तरह 2010 में मुहम्मद परवेज और उसके बेटे वकास को 16 साल की अक्सा परवेज की हत्या का दोषी माना गया. अक्सा परवेज की हत्या पारंपरिक बुर्का पहनने पर हुए विवाद की वजह से की गई. 2012 में महम्मद शाफिया, तूबा याह्या और उनके बेटे हमीद को हत्या के चार मामलों में दोषी करार दिया गया. इन लोगों ने 2009 में शाफिया और याह्या की तीन बेटियों और शाफिया की पहली बीवी की हत्या की थी.
रिपोर्टः एन रंजन(डीपीए)
संपादनः महेश झा