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अरब वसंत का एक साल

१७ दिसम्बर २०११

अरब दुनिया ने पिछले एक साल में लगभग हर देश में लोकतंत्र के लिए लोगों का विद्रोह देखा है. अरब वसंत के नाम से विख्यात आंदोलनों ने ट्यूनीशिया, मिस्र और यमन में सरकारें बदलीं तो लीबिया के शासक मुअम्मर गद्दाफी की जान गई.

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सीरिया में अब भी प्रदर्शन जारीतस्वीर: dapd

ट्यूनीशिया में 17 दिसम्बर 2010 को सब्जी बेचने को मजबूर एक बेरोजगार युवक मोहम्मद बुआजीजी ने आत्मदाह कर लिया. एक महीने बाद उसकी मौत के साथ पूरे देश में विद्रोह भड़क गया. 14 जनवरी को राष्ट्रपति जेने अल आबिदीन बेन अली ने 23 साल के शासक के बाद इस्तीफा दे दिया. वह और उनका परिवार निर्वासन में चला गया. बाद में उन पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया. 12 दिसंबर को उदारवादी इस्लामी पार्टी के वर्चस्व वाली नवनिर्वाचित संविधान सभा ने भूतपूर्व विपक्षी नेता मोंसेफ मारजूकी को नया राष्ट्रपति चुना.

मिस्र में तीन दशक से सत्तारूढ़ राष्ट्रपति होसनी मुबारक के खिलाफ लोकप्रिय आंदोलन की शुरुआत 25 जनवरी को हुई. 11 फरवरी को काहिरा के तहरीर स्क्वेयर पर भारी प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति मुबारक ने इस्तीफा दे दिया और सत्ता सेना को सौंप दी. आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 850 लोग मारे गए. वहां चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई है जो जनवरी तक चलेगी. आरंभिक चुनावों में इस्लाम समर्थक पार्टी को बढ़त मिली है.

Kairo Proteste Tahrir Platz gegen Militärrat in Ägypten
मिस्र में लोकतंत्र की धुंधली आसतस्वीर: dapd

यमन में 27 जनवरी को राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के इस्तीफे की मांग के साथ विरोध आंदोलन शुरू हुआ. वे 1978 से सत्ता में हैं. विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों लोग मारे गए. भारी प्रतिरोध के बाद 23 नवम्बर को सालेह ने विपक्ष के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करना मान लिया जिसमें उनसे इस्तीफे की मांग की गई है. 21 फरवरी को राष्ट्रपति चुनाव होंगे.

सीरिया में 15 मार्च से राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. असद की सेना विद्रोहियों का सख्ती से दमन कर रही है. संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप और प्रतिबंधों के बावजूद असद की सरकार ने विपक्षी कार्यकर्ताओं का दमन रोकने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मांग पर अमल नहीं किया है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पुलिस कार्रवाई में 5000 लोग मारे गए हैं. सीरियाई सैनिकों और विद्रोही सैनिकों के बीच भी नियमित रूप से लड़ाई हो रही है.

ल की बहुतायत वाले लीबिया में फरवरी में 1969 से सत्तारूढ़ कर्नल मुअम्मर अल गद्दाफी के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ. विद्रोह का केंद्र पूर्वी शहर बेंगाजी था. गद्दाफी ने विद्रोह को दबाने के लिए अपनी सेनाएँ भेज दीं. संयुक्त राष्ट्र ने असैनिक नागरिकों की सुरक्षा के लिए लीबिया पर उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाया. मार्च में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने लीबिया पर हवाई हमले शुरू किए. अगस्त में विद्रोहियों ने राजधानी त्रिपोली पर कब्जा कर लिया. उसके कुछ दिन बाद 20 अक्टूबर को गद्दाफी को उसके गृहनगर सिर्त में पकड़ लिया गया और मार डाला गया. लीबिया के नए शासकों का कहना है कि विवाद में 30 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं. नवम्बर में एक अंतरिम सरकार बनाई गई है लेकिन उस पर पारदर्शिता में कमी का आरोप है.

Tunesien Tunis Verfassungsgebende Versammlung Protest Demonstration
शांत हुआ ट्यूनीशियातस्वीर: AP

मध्य फरवरी से मध्य मार्च तक बहरीन में राजनीतिक सुधारों के लिए प्रदर्शन हुए. सउदी अरब की सेना के नेतृत्व में खाड़ी की सेना के एक टुकड़ी ने हस्तक्षेप किया और बहरीन में घुसकर विद्रोह को दबाने में मदद दी. विरोध प्रदर्शन को कुचलने में 30 लोगों की जान गई. एक औपचारिक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने विरोध करने वालों के खिलाफ भारी हिंसा का इस्तेमाल किया. वे मुख्यतः सुन्नी शासन वाले बहरीन के बहुमत शिया समुदाय के थे.

जॉर्डन में भी 14 जनवरी को हजारों लोगों ने राजनीतिक सुधारों के लिए प्रदर्शन किया. शाह अब्दुल्लाह द्वितीय ने अधिक लोकतंत्र के लिए संवैधानिक सुधारों का वायदा किया. उसके बाद विरोध दब गया. वह दूसरे अरब देशों जैसा आयाम नहीं ले पाया.

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: एम गोपालकृष्णन

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