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राजनीतिदक्षिण अफ्रीका

क्या पुतिन को गिरफ्तार करना होगा दक्षिण अफ्रीका को?

२ जून २०२३

दक्षिण अफ्रीका अगस्त में ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. अगर पुतिन यहां पहुंचे, तो एक वारंट की वजह से दक्षिण अफ्रीका पर उन्हें गिरफ्तार करने का दबाव होगा. इस मुद्दे ने उसे मुश्किल कूटनीतिक स्थिति में डाल दिया है.

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दक्षिण अफ्रीका, आईसीसी के स्थापना घोषणा पर दस्तखत करने वालों में शामिल है. ऐसे में अगर पुतिन उसके भूभाग में दाखिल होते हैं, तो आइसीसी का सदस्य होने के नाते दक्षिण अफ्रीका को उनकी गिरफ्तारी करनी होगी.
दक्षिण अफ्रीका, आईसीसी के स्थापना घोषणा पर दस्तखत करने वालों में शामिल है. ऐसे में अगर पुतिन उसके भूभाग में दाखिल होते हैं, तो आइसीसी का सदस्य होने के नाते दक्षिण अफ्रीका को उनकी गिरफ्तारी करनी होगी.तस्वीर: Gavriil Grigorovvia/Kremlin/Sputnik via REUTERS

ब्रिक्स की प्लानिंग मीटिंग के दूसरे दिन 2 जून को भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई. मगर पूरी बैठक में इस सवाल का साया रहा कि अगस्त में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पुतिन हिस्सा लेंगे या नहीं. ब्रिक्स के मौजूदा पांचों सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष 22 से 24 अगस्त तक जोहानेसबर्ग में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे.

उधर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) को पुतिन की तलाश है. आईसीसी ने मार्च 2023 में पुतिन की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. दक्षिण अफ्रीका, आईसीसी के स्थापना घोषणा पर दस्तखत करने वालों में शामिल है. ऐसे में अगर पुतिन उसके भूभाग में दाखिल होते हैं, तो आइसीसी का सदस्य होने के नाते दक्षिण अफ्रीका को उनकी गिरफ्तारी करनी होगी.

पश्चिमी देशों पर उठते सवाल

इस मुद्दे ने दक्षिण अफ्रीका को मुश्किल कूटनीतिक स्थिति में डाल दिया है. बैठक के पहले दिन इस संबंध में पूछे गए सवालों से वहां मौजूद मंत्री बचते नजर आए. दक्षिण अफ्रीका की विदेश मंत्री नलेडी पेंडोर ने पुतिन और यूक्रेन युद्ध से फोकस हटाने की कोशिश की. उन्होंने कहा, "आज इस कमरे में जमा हुए हम सभी देश दुनिया के भूभाग, आबादी और अर्थव्यवस्था के एक खासे बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. दुनिया के एक हिस्से में हो रहे संघर्ष को हम वैश्विक गरीबी मिटाने के लक्ष्य की जगह नहीं लेने दे सकते हैं."

पेंडोर ने पश्चिमी देशों पर सवाल उठाते हुए कहा कि दुनिया साथ मिलकर काम करने के मामले में कमजोर हुई है क्योंकि "अमीर देशों का ध्यान और संसाधन युद्ध के कारण बंटा हुआ है." पेंडोर ने कहा, "गरीबों की दशा भुला दी गई और बड़ी ताकतें वैश्विक संघर्ष में उलझी हैं. हमें इसे बदलना होगा."

ब्रिक्स के मौजूदा पांचों सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष 22 से 24 अगस्त तक जोहानेसबर्ग में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे.
ब्रिक्स के मौजूदा पांचों सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष 22 से 24 अगस्त तक जोहानेसबर्ग में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे.तस्वीर: Russian Foreign Ministry Press Service/TASS/picture alliance

विकल्प की तलाश में दक्षिण अफ्रीका

इससे पहले 29 मई को दक्षिण अफ्रीका ने सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले सभी नेताओं के लिए कूटनीतिक इम्युनिटी जारी की थी. विदेशी मामलों के विभाग ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया. विभाग के प्रवक्ता ने कहा, "ये इम्युनिटी ऐसे किसी वारंट को नहीं लांघती, जो किसी अंतराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने सम्मेलन में हाजिर किसी प्रतिभागी के खिलाफ जारी की हों." खबरों के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका विकल्प खंगाल रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि एक विकल्प यह हो सकता है कि दक्षिण अफ्रीकी अधिकारी चीन से सम्मेलन आयोजित करने को कहें.

पूर्व राष्ट्रपति थाबो म्बेकी ने भी 25 मई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सम्मेलन के दक्षिण अफ्रीका में होने की कम संभावना है. म्बेकी ने कहा, "हमारी कानूनी प्रतिबद्धताओं के कारण हमें राष्ट्रपति पुतिन को गिरफ्तार करना होगा, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते हैं." उप मंत्री ओबेड बापेला ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका एक कानून पास करने पर विचार कर रहा, जो उसे यह तय करने का विकल्प देगा कि आईसीसी में वांछित लीडरों को गिरफ्तार करना है या नहीं.

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2015 में भी हुई थी ऐसी ही घटना

इससे पहले भी दक्षिण अफ्रीका के सामने मिलती-जुलती स्थिति आ चुकी है. 2015 में सूडान के पूर्व राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर जोहानेसबर्ग में आयोजित अफ्रीकन यूनियन के सम्मेलन में शरीक हुए थे. नरसंहार के आरोपों में आईसीसी को ओमर की तलाश थी.

जब इस बात के मजबूत आसार दिखे कि दक्षिण अफ्रीकी हाई कोर्ट ओमर की गिरफ्तारी के पक्ष में फैसला दे सकती है, तो ओमर देश से चले गए. उन्हें गिरफ्तार न करने पर आईसीसी ने विरोध भी किया था. तब दक्षिण अफ्रीका ने आईसीसी से हटने की इच्छा का संकेत दिया था.

एसएम/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)