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2022 में 883 लोगों को मृत्युदंडः एमनेस्टी

१७ मई २०२३

2022 पिछले पांच साल में मौत की सजाओं के लिए सबसे काला साल रहा. 883 लोगों को मौत की सजा दी गई, जो 2021 से 53 फीसदी ज्यादा है.

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दुनियाभर में अलग-अलग तरीकों से दी जाती है मौत की सजा
दुनियाभर में अलग-अलग तरीकों से दी जाती है मौत की सजातस्वीर: Nate Jenkins/AP/picture alliance

2022 में दुनिया में 883 लोगों को मौत की सजा दी गई जो 2021 से 53 फीसदी ज्यादा है और पांच साल में सबसे अधिक है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट कहती है कि ईरान और सऊदी अरब में मौत की सजाओं में हुई बड़ी वृद्धि के चलते खासतौर पर एशिया में मौत की सजा में इतनी अधिक बढ़ोतरी देखी गई है.

एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में दी गईं कुल मौत की सजाओं में से 70 प्रतिशत ईरान में दी गईं, जहां 2022 में वहां 576 लोगों को फांसी दे दी गई. 2021 के मुकाबले यह 83 फीसदी ज्यादा है जब 314 लोगों को फांसी दी गई थी. इनमें से 255 मामले नशीली दवाओं से जुड़े थे जबकि 279 लोगों को हत्या का दोषी पाया गया था.

सिंगापुर में गांजे की तस्करी में भारतीय मूल के व्यक्ति को फांसी

सऊदी अरब में 2021 के मुकाबले 2022 में मौत की सजाओं में तीन गुना की वृद्धि हुई और वहां 196 लोगों को मृत्युदंड के तहत मार दिया गया. पिछले 30 साल में यह सबसे बड़ी संख्या है. 85 लोगों को आतंकवाद से जुड़े अपराधों में मौत की सजा दी गई, जो पिछले साल के नौ गुना से भी ज्यादा है. इसके अलावा नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों में 57 लोगों को मौत की सजा दी गई जबकि 2021 में किसी व्यक्ति इस अपराध के तहत मृत्युदंड नहीं दिया गया था.

2021 की तुलना में कुवैत, म्यांमार, फलीस्तीन, सिंगापुर और अमेरिका में भी 2022 में मौत की सजाओं की संख्या में बड़ी वृद्धि दर्ज हुई. 2021 में 18 देशों में 579 लोगों को मौत की सजा दी गई थी जबकि 2022 में 20 देशों में 883 लोग मारे गए.

यह समग्र आंकड़ा नहीं है क्योंकि चीन, उत्तर कोरिया और वियतनाम जैसे देशों में मौत की सजा की संख्या सार्वजनिक नहीं की जाती.

इंडोनेशिया में मारी गई गोली

एमनेस्टी के मुताबिक 2022 में इंडोनेशिया में 112 लोगों को मौत की सजा दी गई जिनमें से 94 फीसदी मामले नशीली दवाओं से जुड़े थे जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ये मामले ‘सर्वाधिक गंभीर अपराधों' की श्रेणी में नहीं आते थे.

इंडोनेशिया में हत्या, आतंकवाद और नशीली दवाओं की तस्करी जैसे अपराधों में मौत की सजा का प्रावधान है और वहां गोली मारकर जान ली जाती है. 2022 से पहले वहां 2016 में चार लोगों को नशीली दवाओं की तस्करी के अपराध में गोली मारी गई थी. इनमें से तीन नाईजीरियाई नागरिक थे और एक इंडोनेशियाई. देश में फिलहाल 450 लोग फांसी की सजा पा चुके हैं और उस पर अमल का इंतजार कर रहे हैं. इनमें 18 देशों के 88 विदेशी नागरिक भी हैं.

भारत में 165

पिछले साल बांग्लादेश में 169 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई जो एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सबसे अधिक है. उसके बाद भारत का नंबर रहा, जहां 165 लोगों फांसी की सजा सुनाई गई. पाकिस्तान 127 लोगों को मौत की सजा के साथ इलाके में तीसरे नंबर पर रहा.

अधिकार समूह: ईरान ने 2022 में 582 लोगों को फांसी दी

अमेरिका में पिछले साल 18 लोगों को मौत की सजा दी गई जबकि 2021 में 11 लोगों को मृत्युदंड दिया गया था. हालांकि दुनिया के जिन 20 देशों में मौत की सजा दी गई, उनमें अमेरिका सबसे नीचे थे.

रिपोर्ट कहती है कि चीन, ईरान, सऊदी अरब और सिंगापुर में नशीली दवाओं से जुड़े मामलों में 325 लोगों को मौत की सजा दी गई, जो 2021 के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है. एमनेस्टी ने कहा कि मौत की सजा को खत्म करने वाले देशों की संख्या अब बढ़कर 112 हो गई है, जिनमें पापुआ न्यू गिनी भी शामिल है. इसके अलावा मलयेशिया ने भी कई अपराधों में मौत की सजा खत्म करने का अहम कदम उठाया है.

पिछले दस साल में 2022 चौथा सबसे अधिक मृत्युदंड वाला साल साबित हुआ. सबसे ज्यादा 1,634 लोगों को मौत की सजा 2015 में दी गई थी. 2016 में 1,032 और 2017 में 993 लोगों को मृत्युदंड दिया गया था.

वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)

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